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20 Jun 2021 · 2 min read

वेदों की जननी… नमन तुझे,

वेदों की जननी…नमन तुझे!
* ** * * ** * * ** * * ** *
(गायत्री जयन्ती पर विशेष)
================

वेदों की जननी…नमन तुझे!
नमन तुझे, माँ नमन तुझे!!
जीवन के संतापो को करे नाश,
क्षुधा,पिपासा सब करे शांत,
वो कल्पवृक्ष गायत्री तुम हो।
मिटाकर अज्ञान तिमिर,ज्ञान की ज्योति जगा दे,
वो ब्रह्मस्वरूपा गायत्री तुम हो।
शिव,शक्ति,नाद और बिंदु,
तेरे ही उद्भवपथ साधन है।
सबदुःखहरनी वेदों की जननी नमन तुझे ,
नमन तुझे, माँ नमन तुझे!
वेदों की जननी… नमन तुझे!

सत्य,सनातन,सुन्दर सपना,
जीवन में साकार हुआ है,
राग- द्वेष से ऊपर उठकर,
जिसने तेरा आधार लिया है।
समय नहीं जिसे वेदमंथन का,
केवल तेरा जाप किया है।
सौभाग्यप्रदायणी, वेदों की जननी, नमन तुझे..
नमन तुझे, माँ नमन तुझे!!
वेदों की जननी… नमन तुझे!

तेज,प्रकाश,बल और पराक्रम,
तेरे ही प्रसाद है जननी,
आदि,अनादि,सूक्ष्म सम्प्रेषण,
तेरे ही विज्ञान है जननी।
आसान नहीं होता है सबका,
अपने प्रारब्ध से लड़ पाना।
झुठलाया इस तथ्य को मानव,
जिसने वेदमंत्र को पहचाना।
अमृतप्रदायिनी वेदों की जननी नमन तुझे..
नमन तुझे, माँ नमन तुझे!!
वेदों की जननी… नमन तुझे!

गौ,गीता,गंगा,गायत्री
वेदों का आधार है माता।
वेद से ही विज्ञान होता,
वेद चेतन ज्ञान है देता ।
अद्वैत का दर्शन कराकर,
करुणा अपरंपार पाता।
घटघटवासिनी वेदों की जननी नमन तुझे..
नमन तुझे, माँ नमन तुझे!
वेदों की जननी… नमन तुझे!

पल में मोहित,पल में भ्रमित,
पल में व्यथित,माया का जंजाल घना है।
आकुल मन क्यों समझ न पाया,
अलौकिक दिव्य ऋचा ज्ञान यहाँ है।
धवलचंद्र मुख सा तेरा दर्शन,
श्रद्धा विश्वास का अलख जगा दे।
सत्यस्वरुपिणी वेदों की जननी नमन तुझे..
नमन तुझे, माँ नमन तुझे!
वेदों की जननी… नमन तुझे!

मौलिक एवं स्वरचित

© *मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २०/०६/२०२१
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
15 Likes · 14 Comments · 3158 Views
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