वेदना
वेदना
माँ के आँसू पोछना चाहता है हर बेटा,,,,,,
पर बी वी के झगड़ालु प्रवृति के आगे अक्सर झुक जाता है बेटा।।।।।
बहनों के लिए हर पल मदत को दौड़ना चाहता है भाई,,,,,,,
पर धन दौलत रोका टोकी के चक्कर मे फ़स जाता है भाई।।।।।
मुफलिसी के हालात में जीना मुहाल होता है दीन दुःखीयों का,,,,,,,
क्यो नही समझती जनता और सरकार मर्म इन नन्ने परिंदों का,।।।
एक पल की रोटी को भी तड़प जाता है भिखारी,,,,,,
क्यो तड़पा कर रख देती है ये जिंदगी सारी।।।
नन्नी मुन्नी बच्चियां बलात्कारियो की शिकार हुईं,,,,,,,,
क्यूँ करते हो बेड़ियों ऐसा क्या तुम्हारे घर बेटियां नही हुईं।।
ससुराल में दहेज की खातिर बेटियों को जलाया जाता है,,,,,,
कौन समझेगा बहते आँसू के दर्द को,
जो पिता गम में जीते जी बेटी के मर जाता है।।।।
उस ममता की मूरत माँ की बेहिसाब वेदना को कौन जानेगा,,,
जिसके कोख में पल रही बेटी को महज लड़की होने पर मार दिया जाता है।
उस मजनू की रातो की खोई नींदों और बहते अश्क की अपार दिली वेदना को कौन पहचानेगा,,,,,,
जिसे उसकी लैला ने मुफलिसी को देख उसकी धोका दे कर चली गयी हो।
रचनाकार गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापक मंदसौर
मोबाइल नंबर 7772931211
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