वृक्षों का दरबार
देखी जंगल में भी एक बस्ती
एक से एक बड़ी वहाँ हस्ती ।
रहते वृक्ष इंसाँ की भाँति
करते बहुत वहाँ वो मस्ती ।
बरगद पेड़ों का बन राजा
जब चाहे एक सभा बुलाता ,
घनी घनी अपनी छाया में ,
वृक्षों का दरबार लगाता ।
जटा बने हाथों से अपने
सब को है आदेश सुनाता ,
सेनापति बनाकर पीपल को
पेड़ों की रक्षा करवाता ,
आम वृक्ष बना महामंत्री
जंगल का पोषक बन जाता ।
नीम चिकित्सक बन खड़ा हो
औषधियों का निर्माण कराता ,
दे आदेश सब पुष्प पौधों को
वन भवन में महक बिखराता ।
चीड़ ,साल, सागौन, कीकर
सब उसके ही दरबारी हैं ,
जंगल की ही भरी सभा पर
स्वस्थ धरा यह सारी है ।
डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली