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5 Sep 2020 · 1 min read

वृक्षारोपण

संस्मरण
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वृक्षारोपण
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बात शायद 1977-78 की है।उस समय मैं तीसरी या चौथी कक्षा में था।उस समय मेरा प्राइमरी स्कूल मेरे ही ग्राम सभा के प्रधान जी के बाग में चलता था।क्योंकि स्कूल का अपना भवन नहीं था।विद्यालय मेरे घर से डेढ़ किमी.दूर था।
संयोग से उसी वर्ष मेरे घर से लगभग 300 मीटर दूरी पर आबादी की जमीन पर स्कूल का पक्का भवन बनकर तैयार हो गया।हम सब बहुत खुश थे।हम भाई बहन तो इसलिए खुश थे कि स्कूल अब बहुत पास हो गया।हम लोग अब नये भवन में पढ़ने लगे थे।
एक दिन हमारे शिक्षक ने हमारे साथ स्कूल में वृक्षारोपण कराया ।सभी बच्चों में खूब उत्साह था।हमनें स्कूल के किनारे किनारे पचासों पेड़ शीशम, सागौन,आम के लगाये।गुरुजी के देख रेख में उक्त वृक्षारोपण कार्यक्रम करीब तीन बजे तक चला उसके बाद अगले दिन की छुट्टी के साथ हम उछलते कूदते घर आये।कपड़ें पूरी तरह गंदे हो चुके थे,परंतु इसकी परवाह किसे थी।
आज जब कभी गाँव जाता और उन पेड़ो को देखता हूँ (जिसमें कुछ ही बचे हैं और आम के पेड़ फलदार)तो सहसा वह दिन समय के साथ उस समय के शिक्षकों की स्मृतियां जेहन मैं कौंध ही उठती हैऔर मन में उन गुरूओं के प्रति श्रद्धा भाव जाग उठता है,जिनकी देख रेख में वृक्षारोपण हुआ था।इसी बहाने हमें भी उन दिनों की स्मृतियों को संजोए रखने का अवसर मिलने लगा।
©सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 241 Views
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