Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2017 · 4 min read

वृंदावन की अचानक यात्रा

वृंदावन की अचानक यात्रा

मुझे साल में एक या दो बार CIMCO (बिड़ला) जिसे बादमें टीटागढ़ समूह ने ख़रीद लिया वैगन निर्माण परीक्षण के सिलसिले में जाना पड़ताहै।
पहलेभी दो तीन बार आयाहूँ पर हर बार काम किया और चलते बने।
इस बार शुरू से ही जब कोलकाता से चले लगने लगा कुछ अलग होने वाला है इस यात्रा में।
मेरी फ़्लाइट दिल्ली समय से पहले पहुँच चुकी थी और मैं भरतपुर (राजस्थान) पहुँच चुका था आगरा इक्स्प्रेस्वे
होते हुए।
दिन के सरकारी निरीक्षण कार्य पूरी निपुणता से निपटा कर रेस्ट हाउस में शाम को चाय की चुस्की ले रहा था कि अचानक ख़याल आया क्यों न मथुरा वृंदावन देखा जाय।किताबों में पढ़ा है क़िस्सों में सुना था पर देखा कभी नहीं था।
आव देखा न ताव गाड़ी में बैठे और वृन्दावन की ओर निकल पड़े।शाम के साढ़े पाँच बज चुके थे और वृंदावन वहाँ से एक घंटे की दूरी पे ही था।
रास्ते की हालत बहुत अच्छी नहीं थी हिचकोले खाते हुए हम साढ़े सात बजे वृन्दावन में प्रवेश कर रहे थे।
मेरे दिमाग़ में बनारस की तंग गालियाँ या कोलकाता के कालीघाट की लम्बी लाइन का दृश्य तैर रहा था पर
ऐसा कुछ चाह कर भी दिख नहीं पा रहा था ।
वृंदावन शहर -बिलकुल स्वच्छ साफ़ सुथरी और चौड़ी सड़के आपका स्वागत कर रही थी ।
रौशनी से जगमगाती नगरी अपनी बाँहें फैलाए सब कुछ
पवित्र साकरत्मकता के साथ आप का अभिनंदन कर रही थी और मैं आश्चर्यविस्मित हो आँखे फाड़े देख रहा था।
मेरे साथी ड्राइवर ने मुझे हिदायत दी की सारे मंदिर साढ़े आठ तक खुले है और समय सिर्फ़ एक घंटे ही हमारे पास बचे है इसलिए सबसे पहले हम कृपालु जी महाराज की बनवाई हुई प्रेम मंदिर जाएँगे।
यक़ीन मानिए जैसे हम मंदिर के भव्य गेट पे पहुँचे मेरी आँखे विश्वास नहीं कर रही थी इस भव्यता पर।
सम्पूर्ण कारीगरी की साक्षात मिसाल जिसमें एक भी नुक़्स निकालना असम्भव है हमारे सामने जगमगाता
महल नूमा मंदिर जो हर घड़ी अपना रंग बदल रहा था
अपनी निपुणता और उच्च कोटि की बारीक कारीगरी का प्रमाण दे रहा था।
महाराज कृपालु जी की दूरदर्शिता का अनुमान इसकी हर छोटी बड़ी चीज़ें बता रही थी ।
आधुनिक तकनीक लेज़र लाइट्स और महीन कारीगरी का अदभुत समन्वय लिए ये मंदिर आपको प्रेरित कर रहा था की आज के युग में भी पुरानी कारीगरी सम्भव है।
मैं मंत्र मुग्ध बस निहारे जा रहा था।
एक एक मूर्ति, कलाकारों के कला प्रेम की प्रकास्ठा को दर्शा रहा था जैसे लग रहा था हम युगों को वापस लाँघकर कृष्ण लीला देख रहे है।
अचानक याद आया की समय कम है और बाँके बिहारी के पुराने और सबसे चर्चित मंदिर बंद होने वाले है हम भाग चले मंदिर की ओर।
गाड़ी छोड़ पैदल पुरानी तंग गलियों में पर ग़ौरतलब बात ये थी की इन तंग गलियों में कहीं गंदगी नहीं थी।
सारे मन्दिरों का कामन प्रसाद पेड़ा तुलसी माला और गुलाब की पूरी लड़ी लेकर हम भागते हुए मंदिर के अंदर प्रवेश कर चुके थे ।पट ढकने वाला था पर हम दर्शन कर चुके थे।मैं बस प्रसन्न था ।भीतर मन में सम्पूर्ण शांति।
यहाँ का माहौल पूर्णतह भक्तिमय था चारों ओर भजन गाए जा रहे थे मैं भी झूम रहा था ताली बजाए जा रहा था ।पूजा कर हम बाहर आ रहे थे उन्ही तंग गलियों को निहारते कि अचानक मुझे एक पान वाला दिखा बड़े दीवाने अन्दाज़ में पान का पूरा सामान अपने काँधे पे लटकाए मगन पान बना रह था ।हमारे आग्रह पे उन्होंने ज़बरदस्त पान बनाया और मैंने खाते ही पचास के नोट उनके हाथ रख दिया ,मैं अपने अलग ही अन्दाज़ में था।
पानवाले भाई ने प्यार से आग्रह किया कहा आपके सिर्फ़ तीस रुपए हुए गर मैंने बीस और रख लिया तो नींद नहीं आएगी।उसके बाद जो उसने कहा तो मेरी नींद उड़ गयी
कहते है मुझे अच्छा लगता है पान खिलाना इस लिए ये काम कर रहा हूँ।बाँके बिहारी का दिया सबकुछ है सामने वाला धर्मशाला मेरा ही है जो चाहे रहे भक्त होना चाहिए खाने पीने की सुविधा है वो भी निशूल्क ।
मेरे नीचे की ज़मीन हिल चुकी थी ओर इस नगरी ने मुझे मेरे अंदर के भगवान से दर्शन करा दिया।
बहुत कुछ अभी देखना रह गया पर इस वादे के साथ की दुबारा लौट के आऊँगा दर्शन करने क्योंकि अभी अम्बे वाली माँ ISCON temple और ना जाने कितने मंदिर बचे है।
मैं गदगद मन से वापस कोलकाता जा रहा हूँ इसी वचन के साथ सपरिवार अपने माँ बीबी और बच्चों को इस अप्रतिम नगरी के दर्शन कराने ज़रूर ले के आऊँगा।

यतीश १०/११/२०१७

Language: Hindi
524 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
* खूब कीजिए प्यार *
* खूब कीजिए प्यार *
surenderpal vaidya
"मौत की सजा पर जीने की चाह"
Pushpraj Anant
Go wherever, but only so far,
Go wherever, but only so far,"
पूर्वार्थ
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
Seema gupta,Alwar
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
रहे_ ना _रहे _हम सलामत रहे वो,
रहे_ ना _रहे _हम सलामत रहे वो,
कृष्णकांत गुर्जर
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
दो पल देख लूं जी भर
दो पल देख लूं जी भर
आर एस आघात
దీపావళి కాంతులు..
దీపావళి కాంతులు..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कब टूटा है
कब टूटा है
sushil sarna
हँसने-हँसाने में नहीं कोई खामी है।
हँसने-हँसाने में नहीं कोई खामी है।
लक्ष्मी सिंह
💐अज्ञात के प्रति-35💐
💐अज्ञात के प्रति-35💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
माँ की गोद में
माँ की गोद में
Surya Barman
93. ये खत मोहब्बत के
93. ये खत मोहब्बत के
Dr. Man Mohan Krishna
"चुलबुला रोमित"
Dr Meenu Poonia
2591.पूर्णिका
2591.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
धूम भी मच सकती है
धूम भी मच सकती है
gurudeenverma198
*पाया दुर्लभ जन्म यह, मानव-तन वरदान【कुंडलिया】*
*पाया दुर्लभ जन्म यह, मानव-तन वरदान【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
सच का सूरज
सच का सूरज
Shekhar Chandra Mitra
गलतियों को स्वीकार कर सुधार कर लेना ही सर्वोत्तम विकल्प है।
गलतियों को स्वीकार कर सुधार कर लेना ही सर्वोत्तम विकल्प है।
Paras Nath Jha
नेता जब से बोलने लगे सच
नेता जब से बोलने लगे सच
Dhirendra Singh
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
 मैं गोलोक का वासी कृष्ण
 मैं गोलोक का वासी कृष्ण
Pooja Singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
पड़ते ही बाहर कदम, जकड़े जिसे जुकाम।
पड़ते ही बाहर कदम, जकड़े जिसे जुकाम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ज़िन्दगी का रंग उतरे
ज़िन्दगी का रंग उतरे
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अहसान का दे रहा हूं सिला
अहसान का दे रहा हूं सिला
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हादसों का बस
हादसों का बस
Dr fauzia Naseem shad
Loading...