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19 May 2020 · 5 min read

वुहान से देवलोक तक कोरोना

ब्रह्मा , विष्णु , महेश तीनों पृथ्वी के रचयिता, पालक और संहारक क्या देख ही नहीं पा रहे हैं कि पृथ्वी पर हाहाकार मची है मजदूर , आम जनता , पशु-पक्षी , सभी बेहाल हैं । और चीन ने तो हद ही कर रखी है वह निरही प्राणियों को मार-मार कर खा रहा है । अभी भी उसे चैन नहीं आया है । कल ही यमपुरी से आया हूं वहां एक मजदूर ने बताया है कि ये संक्रमण चीन की देन है जिसे पृथ्वी पर कोरोना नाम से जानते हैं जो चीन से आया है कहते हुए देव ऋषि नारद जी ब्रह्मा जी के कक्ष में प्रवेश करते हैं ।
पृथ्वी को रचने वाले कैसे बेसुध हो सकता है । ब्रह्मा ज़रा नीचे भी नज़र डाल कर देखो तुम्हारी बनाई सृष्टि अंत के कगार पर पहुंच गई है । तुम जितने जीव गड़ के नीचे भेज रहे हो उससे 50 गुना यमपुरी में वापिस आ चुके हैं । यक्ष और यक्षिनी का बुरा हाल है । धक्का – मुक्की हो रही है । हल निकालो इस समस्या का । देखो नारद जी , मैं अकेले तो हल नहीं निकाल सकता विष्णु और देवो के देव महादेव को भी बुला लो फिर कुछ बात आगे बड़े ।
लो जिनको याद किया वह स्वयं ही चले आ रहे हैं ।
पधारिए …नारद जी कहते हुए …
शिव – क्या बात है ? आज सुर क्यों बदले हुए हैं ?
नारद – अब क्या बताएं … पृथ्वी की दुर्दशा । आपको तो भांग की मस्ती से ही फुर्सत नहीं मिलती ।
शिव – बस देव ऋषि ताने मत मारिए । हम सीधे यमपुरी से आ रहे हैं । अब यह बताइए कि इस समस्या का हल क्या है ?
ब्रह्मा – क्यों न नीचे ही चला जाए देखें तो समझ आए कि माजरा क्या है ? कहां से आया ये कोरोना… मैंने तो इसे नहीं रचा, इसके जन्म की भी कोई तारीख नहीं है , न ही ये मेरी मिट्टी से बना दिखता है । कहां जन्मा कैसे जन्मा इसका पता तो नीचे ही चल पाएगा । क्या पता वही से कुछ उपाय मिल जाए ? यमलोक में आए जीवो से तो पता चला है कि चीन के वुहान में जन्मा है ।
नारद – तीनों यूं ही गपियाते रहोगे या नीचे भी जाकर देखोगे । तीनों देवता … चलो फिर शुरुआत वुहान से ही करते हैं ।
कुछ ही पल में चीन के वुहान से
ब्रह्मा – विष्णु , महेश देखो तो ज़रा ये कितने निर्दयी लोग हैं । विष्णु तुमने ऐसे लोगों को कैसे रचा ? मुझसे तो देखा नहीं जा रहा । कैसे जिंदा जानवरों को खा रहे हैं ?
विष्णु – मेरे मित्रों माना मैं रचना करता हूं इन्हें जीवन देता हूं मगर साथ – ही – साथ बुद्धि भी देता हूं । इस लोक पर बुद्धि का प्रयोग मानव के हाथ में है ।
शिव – फिर तो लगता है इन्होंने अपनी बुद्धि का ज़रूरत से ज्यादा प्रयोग कर लिया है इसीलिए अब ये बुद्धिहीन हो गए हैं । जिन जीवों को मारकर खा रहे हैं ये उन्हीं की आह है जो कोरोना के रूप में इनके सामने आई है ।
ब्रह्मा – क्यों न गंगा जमनी भारत की धरती पर चला जाए । असली सच्चाई वहीं पता चलेगी । वो भारत माता की धरती है न पवित्र , निर्मल, शीतल अखंड और अतुलनीय । सही कह रहे हो… चलो चलते हैं । पाल भर में …यहां तो सभी से मुंह पर कपड़ा लगा हुआ है चीन में तो ऐसा नहीं दिखाई दिया था । तीनों देव भारत से लेकर पूरी धरती का चक्कर लगाते हैं । अस्पताल से लेकर विद्यालय तक और क्या देखते हैं ? अस्पताल भरे और विद्यालय सुने हैं । तीनों बहुत दुखी हैं पृथ्वी पर लोगों की ये हालत देखकर । लोग घरों में कैद हैं , काम धंधे सभी बंद हैं , मजदूर अपने घरों की ओर वापिस पलायन कर रहे हैं और वो भी नंगे पैर, पैरों में छाले लिए ।
एक व्यक्ति – अरे तुम तीनों ने मुंह पर मास्क क्यों नहीं लगाया । मुंह पर मास्क लगा लो कोरोना का पता नहीं कब किसको अपनी चपेट में लेे ले और परलोक का रास्ता दिखा दे । तीनों देवता एक दूसरे को देखते है इतने में ।
अरे ये लो मास्क कवच मैं उपर से सारी लीला देख रहा था यहां बिना मास्क कवच के जो घूमता पकड़ा जाता है खाकी वर्दी वाले उन्हें फिर अपनी तरह से समझते है । तीनों देवताओं को मास्क कवच देते हुए खुद भी मास्क कवच लगाकर नारद जी उनके साथ हो लेते हैं ।
नारद – सुनो ! ये लोग क्या कह रहे हैं ? ये कह रहे हैं कि जब भीषण गर्मी होगी तभी संक्रमण का असर कम होगा मगर सूरज देवता अपनी दया दृष्टि नहीं दिखा रहे हैं । कभी बिन मौसम बारिश हो जाती है , कभी बर्फ़ गिरने लगती है, कभी भूकंप आ जाता है लगता है ईश्वर भी सोया हुआ है । तीनों देवता एक दूसरे को देखते हुए , सूरज भाई सोया हुआ है ।
ये सूरज के लिए ही नहीं कह रहे तुम्हारे लिए भी का रहे हैं ।
नारद – इन लोगो की बात सुनकर मेरा एक सुझाव है , हमें सूरज के पास चलना चाहिए अब वो ही कोरोना से बचाव में इनकी मदद कर सकता है ।
चारों सूरज के पास पहुंचते हैं , देव ऋषि ये सूरज कहां गया । देखो यहां होगा । शिव – अरे तुम यहां अंदर क्यों हो सूरज ?
सूरज – कोई अंदर मत आना सभी बाहर रहो वहीं से बात करो । ये तुम्हारे मुंह पर मास्क कवच कैसे धरती से आ रहे हो क्या ? हां, तुम्हें कैसे पता ? भाई मैं भी दिसंबर से मई तक धरती पर ही था चीन के वुहान , अमेरिका, भारत की धरती से लेकर श्रीलंका तक । चीन के वुहान में देखा था लोगों को मुंह पर मास्क कवच पहने ।
शिव , हम भी वहां गए थे मगर वहां तो सब सामान्य लग रहा था । बल्कि दुनिया के अन्य देशों के जन जीवन का हाल बुरा देखा ।
तुम बताओ सूरज भाई तुम क्यों बंद हो शिव कहते हुए… सब लोगो को तुम्हारा ही आसरा है ।
सूरज – शिव भाई , जब से मैं धरती से वापिस आया हूं मेरी शक्ति शीर्ण हो गई है , मेरी किरणों का तप, ऊर्जा और रोशनी कम हो गई है । तुम देख सकते हो कि मेरी शक्ति शीर्ण होने से पृथ्वी पर भूकंप आ रहे हैं, बिन मौसम बरसात हो रही है, गर्मी में भी बर्फ़ गिर रही है वो भी मैदानी क्षेत्रों में । मैं अब कुछ नहीं कर सकता । अब तो धरती पर मनुष्य ही मनुष्य को बचा सकता है लॉकडाउन का पालन करके और संक्रमण होने पर कोरेंटाइन में जाकर जिससे संक्रमण किसी दूसरे व्यक्ति में न फैले । देखो मैं भी कोरंटाइन में चला गया हूं । कोरोना ने मुझे भी नहीं छोड़ा । देवलोक को भी लॉकडॉउन का पालन करना होगा ।
नारद और तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश नीचे पृथ्वी पर देखते हैं, गहन सोच में हैं, और सूरज की तरफ़ देख रहे हैं ।
क्या हमारी बनाई सृष्टि समाप्त होने वाली है ?
देव ऋषि नारद जी – नारायण नारायण , नारायण नारायण
ये तो पृथ्वी वासियों पर निर्भर करता है । कहते हुए कक्ष से निकाल जाते हैं ।

संदेश स्वयं देव ऋषि दे गए
पृथ्वी को बचाना है तो लोकडाउन के नियमो का पालन करें, जीव जंतुओं और प्रकृति से प्यार करें ।
धन्यवाद
डॉ. नीरू मोहन ‘ वागीश्वरी ‘

Language: Hindi
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