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16 Jan 2021 · 4 min read

वीर शहीद संतोष बाबू

वीर शहीद बी. संतोष बाबू

वह 15 जून 2020 की स्याह रात थी।14000 फीट की ऊंचाई पर गलवान घाटी में ,वास्तविक नियंत्रण रेखा पर, इंडियन आर्मी की बिहार इन्फेंट्री रेजीमेंट तैनात थी।चारों तरफ मौत का सन्नाटा छाया हुआ था। केवल, छावनी में जवानों की छुटपुट हलचल थी।

गलवान नदी, भविष्य से अनजान तेज प्रवाह से बह रही थी। सैनिक बहुत सजग व सतर्क थे ।आज सीमा पर तनाव बना हुआ था। आज सीनियर आर्मी अधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसमें तय हुआ था, कि, चीनी सेना अपना तंबू उखाड़ कर दो किलोमीटर पीछे जाएगी। उसी समझौते को सुनिश्चित करने ,शाम 6:00 बजे कर्नल बी.संतोष बाबू अपने 30 सैनिक साथियों के साथ वास्तविक सीमा नियंत्रण रेखा के उस पार चीनी सीमा में गये ।

कर्नल बी संतोष बाबू ,बहुत ही समझदार एवं जुझारू सैनिक थे। समूचा रेजिमेंट उनकी सूझबूझ की तारीफ करते नहीं थकता था। उनकी नेतृत्व क्षमता अपूर्व थी।”कर्म ही पूजा है” कर्म पर उनका पूर्ण विश्वास था। यह उनका व उनके बिहार रेजीमेंट का मूल ध्येय था।

कर्नल यह देखकर हैरान थे, कि, चीनी सैनिक अपना तंबू, व साजो सामान पीछे ले जाने के बजाय उक्त स्थल पर बखूबी तैनात थे। यह सीमा समझौते का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन था ।उन्होंने देखा कि, पुराने चीनी सैनिकों की जगह नये चीनी सैनिक तैनात कर दिए गये हैं ।कर्नल संतोष बाबू आक्रोश से भर गये।

प्रथम, उन्होंने सूझबूझ से काम लिया ।उन्होंने चीनी पक्ष को समझाने की जी तोड़ कोशिश की।

किंतु , चीनी सेना अपनी जिद पर अड़ी थी। चीनी सैनिक धक्का-मुक्की पर उतर आये थे।बात बढ़ते -बढ़ते हाथापाई पर आ गयी।

संरक्षक पितृ तुल्य कर्नल संतोष बाबू को धक्का देना भारतीय सैनिकों को नागवार गुजरा। उनका आक्रोश चरम पर पहुंच गया ।उनका खून खौलने लगा।यह उनके स्वाभिमान पर आघात था।

बिहार रेजीमेंट के सैनिक वीरता की अप्रतिम मिसाल है ।कई युद्धों में उन्होंने साबित किया है। चढ़ाई पर भारतीय सैनिक विश्व के अद्वितीय सैनिकों में से एक हैं ,आज परीक्षा की घड़ी आन पड़ी थी। शत्रु ने उनके स्वाभिमान को ललकारा था।

उन्होंने चीनी सैनिकों से जूझना शुरू किया। उन्होंने उनके तंबू जला दिए ,और ,उन्हें उखाड़ कर फेंक दिया। चीनी टुकडी बड़ी संख्या में मौजूद थी, किंतु, भारतीय टुकड़ी भी सतर्क थी। चीनी टुकड़ी में हलचल होते देखकर भारतीय सैनिकों ने धावा बोल दिया ।चीनी सैनिकों को चुन चुन कर द्वन्द युद्ध में मौत के घाट उतारना शुरू किया ।”जै बजरंगबली” के उदघोष से गलवां घाटी गूंज उठी। यह भीषण युद्ध रात्रि में 7 घंटे तक चला, जो ,बिना हथियार के लड़ा गया।

चीनी सैनिक एक-एक करके मारे गये, किंतु, हमारे भी 20 सैनिकों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया था। जिसमें कर्नल बी संतोष बाबू प्रमुख थे।

गलवान नदी का जल रक्त रंजित होगया था। कितने सैनिक नदी के प्रवाह में बह गये। जीरो डिग्री से भी कम तापमान वाले जल में कई सैनिक गिर पड़े ।गलवान नदी पर बना पुल टूट कर गिर गया । वह रात बड़ी भयावह थी।

किंतु ,”भारतीय शौर्य “का सूरज उदय हो चुका था ।भारतीयों की शौर्य गाथा अमर हो गयी। चीनी वर्चस्व का खात्मा किया जा चुका था ।यह एक ऐसा युद्ध था ,जो पत्थरों व लाठी ,डंडों से लड़ा गया ।

सन 1965 के 45 वर्षों के बाद हिंद चीन में दोबारा लघु युद्ध हुआ था।

यह युद्ध किसी सनक का परिणाम नहीं, किंतु ,सुनियोजित चीनी साजिश का परिणाम था ।

भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के भीतर सड़कों का निर्माण प्रारंभ कर दिया था। नदी नालों पर पुल बनाए जा रहे थे। जिससे शीतकाल में इन पहाड़ी इलाकों में रसद की आपूर्ति की जा सके। यहाँ आवागमन सुगम हो सके। सैनिक साजो सामान भी सीमा तक अविलंब पहुंचाया जा सके ।विद्युत संचार का कार्य प्रगति पर था ।लद्दाख के पहाड़ी गांव प्रथम बार बिजली की रोशनी से जगमगा रहे थे। पहाड़ी गांवों को दूरसंचार की सुविधा प्रदान की जा रही थी ।इससे चीन बौखला रहा था।

सरकारी चीनी प्रवक्ता ली जैन झाओ अपने वक्तव्य में बार-बार हिंद विरोधी वक्तव्य जारी कर रहा था ।

चीनी सेना के कितने सैनिक खेत रहे ,चीन आज तक उनकी संख्या बताने की हिम्मत नहीं जुटा सका है।

भारत ने चीन को तीन मोर्चों पर शिकस्त देने की ठानी है ।

वित्त मोर्चे पर चीनी टेंडर निरस्त किये गए ।सारे ऐप बंद किए गए। चीनी सामान पर आयात की निर्भरता समाप्त कर,स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहन दिया गया।

इलेक्ट्रॉनिक मोर्चे पर सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण स्वदेश में किया जाने लगा ।चीनी उपकरणों का बहिष्कार किया गया।

तृतीय मिलिट्री मोर्चे पर भारतीय सेना ने अपना वर्चस्व कायम रखा। चीनी सेना ने अफवाह फैला कर ,वीडियो गेम द्वारा अपनी श्रेष्ठता का अभियान छेड़ दिया ,किंतु ,भारतीय बहादुर सैनिकों से दो-दो हाथ करने का हौसला वह आज तक नहीं जुटा पायी है।
यह भारतीय सेना का अप्रतिम शौर्य है, जो ,कर्नल बी संतोष बाबू व उनके उन्नीस साथियों के बलिदान से लिखा गया है।

जय हिंद।

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता ,पैथोलॉजिस्ट,
जिला चिकित्सालय सीतापुर
9450022526

Language: Hindi
2 Comments · 317 Views
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