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17 Mar 2017 · 1 min read

वीरांगना :-अवन्ती बाई (आल्हा छंद)

“वीरांगना :-अवन्ती बाई ”
(आल्हा छंद 16,15 =31 मात्रा)

सुनो संत जन सुन सुन भई साधु,
दूँ मैं सबको कथा सुनाय।
बड़ी विचित्र कथा हैं उसकी,
सब मिल सुन लो ध्यान लगाय।
एक थी रानी बड़ी सयानी,
हम सब का वो थी अभिमान।
नाम उसका अवन्ती बाई,
वो थी भारत देश की शान।

जिला सिवनी गाँव मनकेड़ी,
मे सब उसका जनम् बताय।
जुझार सिंग पिता तुम्हारे,
कृष्णा बाई माँ कहलाय।
मात पिता कि थी वो लाड़ली,
करती थी सबका सम्मान।
नाम उसका अवन्ती बाई,
वो थी भारत देश की शान।।

जन्म से वो बड़ी शातिर थी,
जन्म से थी बड़ी चालाक।
जन्म से ही बड़ी निडर थी,
जन्म से ही बड़ी बेबाक।
मात पिता का मान बड़ाया,
जग में कर दी उनका नाम।
नाम उसका अवन्ती बाई,
वो थी भारत देश की शान।।

अंग्रेज़ो से लड़ी लड़ाई,
लड़ने में वो थी मरदान।
अंग्रेज़ो से लड़ते लड़ते,
देश पर हो गयी कुर्बान।
उसकी महिमा बड़ी निराली,
कर न सकुँ मैं उसे बयान।
नाम उसका अवन्ती बाई,
वो थी भारत देश की शान।।

रामप्रसाद लिल्हारे
“मीना “

Language: Hindi
680 Views
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