Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2017 · 1 min read

विसर्जन

विसर्जन…………
………………………..
कल तक माँ के चरणों में पड़ा था
आज मूर्ति विसर्जन को सबके संग खड़ा था
ऐसा लगा जैसे कुछ छूट रहा है
हृदय के अंदर कुछ टूट रहा है
सब उत्साह में माँ की जय बोल रहे थे
प्रकृति के उलझे नियमों को खोल रहे थे
मैं स्तब्ध एक ओर खड़ा था
पता नहीं किस सोच में पड़ा था
देख रहा था भुलते भागते छड़ों को
खुद की हाथों से छूटते हुये
माया – मोह के बन्धन को
एक-एक कर टूटते हुये।
मन जहाँ रम जाय
वहीं भक्ति का प्रयाय बन जाता है
मानव जीवन का आधार बन जाता है
मन का विश्वास ही है जो
मिट्टी की मूरत में जान नजर आता है
एक निर्जीव पत्थर भी भगवान नजर आता है
विश्वास से रिश्ता है मोह का
बंधन और विछोह का
प्रेम के उत्कर्ष का
भक्ति के चर्मोत्कर्ष का
भावनाओं के उमड़ते सागर का
विछोह भरे गागर का
विछोह जो कोई अपना रुठे
भक्त से भगवान का संग छूटे
मन कहता है प्रकृति को
रीत निभाने न दूंगा
अपनो को अपने से दूर जाने न दूंगा
फिर भी वक्त के आगे
हर इंसान झुक ही जाता है
साथ चाहे किसी का हो
छूट ही जाता है।
यादे रह जाती है जीवन ढल जाता
काल के गाल में गल जाता है
हर उत्सव के बाद
एक स्याह दिन अवश्य आता है
तभी तो पूजनोपरांत मूर्ति विसर्जन को जाता है।।……
……..पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
258 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
*मनुज पक्षी से सीखे (कुंडलिया)*
*मनुज पक्षी से सीखे (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
दुनिया असाधारण लोगो को पलको पर बिठाती है
दुनिया असाधारण लोगो को पलको पर बिठाती है
ruby kumari
लौ
लौ
Dr. Seema Varma
सनातन सँस्कृति
सनातन सँस्कृति
Bodhisatva kastooriya
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
।।जन्मदिन की बधाइयाँ ।।
।।जन्मदिन की बधाइयाँ ।।
Shashi kala vyas
"मनाने की कोशिश में"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़म
ग़म
Harminder Kaur
शिष्टाचार के दीवारों को जब लांघने की चेष्टा करते हैं ..तो दू
शिष्टाचार के दीवारों को जब लांघने की चेष्टा करते हैं ..तो दू
DrLakshman Jha Parimal
2878.*पूर्णिका*
2878.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सीखने की भूख
सीखने की भूख
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
मेरे वश में नहीं है, तुम्हारी सजा मुकर्रर करना ।
मेरे वश में नहीं है, तुम्हारी सजा मुकर्रर करना ।
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बोल हिन्दी बोल, हिन्दी बोल इण्डिया
बोल हिन्दी बोल, हिन्दी बोल इण्डिया
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अन्न का मान
अन्न का मान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सबका वह शिकार है, सब उसके ही शिकार हैं…
सबका वह शिकार है, सब उसके ही शिकार हैं…
Anand Kumar
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
*फल*
*फल*
Dushyant Kumar
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
समस्याओं के स्थान पर समाधान पर अधिक चिंतन होना चाहिए,क्योंकि
Deepesh purohit
चाहत 'तुम्हारा' नाम है, पर तुम्हें पाने की 'तमन्ना' मुझे हो
चाहत 'तुम्हारा' नाम है, पर तुम्हें पाने की 'तमन्ना' मुझे हो
Sukoon
क्या कहना हिन्दी भाषा का
क्या कहना हिन्दी भाषा का
shabina. Naaz
हँसते गाते हुए
हँसते गाते हुए
Shweta Soni
पवनसुत
पवनसुत
सिद्धार्थ गोरखपुरी
क्यों इन्द्रदेव?
क्यों इन्द्रदेव?
Shaily
जीत
जीत
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
दिल तोड़ना ,
दिल तोड़ना ,
Buddha Prakash
मंजिल कठिन ॲंधेरा, दीपक जलाए रखना।
मंजिल कठिन ॲंधेरा, दीपक जलाए रखना।
सत्य कुमार प्रेमी
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की   कोशिश मत करना
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की कोशिश मत करना
Anand.sharma
अंतस के उद्वेग हैं ,
अंतस के उद्वेग हैं ,
sushil sarna
भूल गई
भूल गई
Pratibha Pandey
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Loading...