विष का प्रभाव……..
विष का प्रभाव
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आज मानवीय स्वभाव
जैसे विष का प्रभाव
शहर दर शहर
नगर दर नगर
हर गांव हर गली
मर रही संवेदनाएं
जैसे विष का प्रभाव।
दिन हो या रात
सुबह हो या साम
सझलौका या भोरहरी
रूग्ण हैं वेदनाएं
जैसे विष का प्रभाव।
उत्तर हो या दक्षिण
पूरब हो या पश्चिम
आकाश या पाताल
अक्रान्त हैं दिशायें
जैसे विष का प्रभाव।
कही सुखा कहीं बाढ
कही भूकंप कहीं तुफान
कही अनल की बरसात
ये प्राकृतिक विषमताएं
जैसे विष का प्रभाव।
अमानवीय विचार
संकुचित सद् ब्यवहार
अमानुषिक प्रबृत्ति
लोभ जनित भक्ति
दूषित ये फिजाऐं
जैसे विष का प्रभाव।।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”