विश्वाश
वो विश्वास मेरा तोड़ गये
■जिसे समझा था अपना वो बेवफा गये,,,
दुनिया की भीड़ से कही और खो गये।
■क्या कहे कैसे कहे कितना ढूंढा है उनको,,,,,
पता चला कि वो किसी गैर की बाहों में सो गये।
■हम सिहर उठे देख उन्हें गैरो के मकां में,,,,,
दिल का हाल हम खुद का ही बुरा कर गये।।।
■विश्वाश का मेरा वो खून कर गये,,,,
जीते जी सितम ये रंज से मेरा नाता जोड़ गये।।
■उनकी बेवफाई को हम सीने में दफन कर गये,,,,,
खुश रहे सदा वो इस लिये सारे गम दर्द हम सह गये।
■आज भी सीने में धड़कन उनके लिये धड़कती है,,,
पर सारी उम्र के लिये वो हमसे रुसवा हो गये।।
गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मन्दसौर
मोबाइल नंबर 7772931211
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