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18 Jan 2019 · 1 min read

विविध दोहे

ज्ञान न मिलता अब यहाँ,झूठा सब परचार।
मंदिर,मस्जिद, पाठशा,सभी करें व्यापार।।

हाथ जोड़ ज्ञानी खड़ा,अनपढ़ भया वजीर ।
ज्यों दुशासन खींच रहा,पांचाली का चीर ।।

ज्ञानवान को आजकल,हुआ बड़ा अभिमान।
इसीलिए संसार में,बढ़ा मूढ़ का मान ।।

अंधा अब कानून है,सरकारें हैं मौन।
राम हवाले देश है,न्याय करेगा कौन ।।

लूट यहाँ हर ओर है,पुलिस बनी लाचार।
डोली कहती लूट में, शामिल रहा कहार।।

तनिक अभी बदला नहीं,कार्यालय का हाल।
रोज मलाई खा रहा,बाबू मालामाल ।।

Language: Hindi
1 Like · 433 Views
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