Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jul 2017 · 1 min read

विवश किसान

चिता जला डाला मिट्टी में मिला दिया अरमान को।
मरने पर विवश कर डाला है क्यों आज किसान को।।

कर्जा पर कर्जा पर कर्जा, बोल नहीं मुँह खोल नहीं।
वरना खोल खुले भेजा का, नाहक हक की बोल नहीं।।
भीषण दानव अट्टहास कर, अहोभाग्य को छीन रहा।
बेचारा असहाय सदी से, हरदम ही गमगीन रहा।।
माई बाप नहीं जो रक्षा, को बोले भगवान को।।
मरने पर विवश कर डाला है क्यों आज किसान को।।

बुद्धू लोग बनाते अक्सर, अवसर रहे चुनाव का।
ये कर देंगे वो कर देंगे, जाला बुने बुनाव का।।
जुमले सारे बरसाती ही, मेढ़क जैसे उछल रहे।
बिन पेंदी के लोटे जैसे, पलपल पाला बदल रहे।।
क्रूर भाव बल पाकर पाया, क्या बोलो बलवान को।
मरने पर विवश कर डाला है क्यों आज किसान को।।

नीच बोलकर वोट मांगकर, आसमान से बोल रहे।
अट्टहास पागलपन का है, देखो जमकर डोल रहे।।
ताकतवर को ताकत देकर, दीनहीन को सता रहे।
धरापुत्र को गोली मारे, ठेंगा उनको दिखा रहे।।
जिसको अपना कहा पराया, पाया उस इंसान को।
मरने पर विवश कर डाला है क्यों आज किसान को।।

मार मार कर महंगाई ने, घायल उसको कर डाला।
सरकारों के पागलपन ने, पागल उसको कर डाला।।
हल वाले का हाल बिगाड़ा, खेती को बदहाल किया।
लागत से कम दाम दिलाकर, कृषकों को कंगाल किया।
देशभक्त खेतीहर का ही, क्या बोले अपमान को।
मरने पर विवश कर डाला है क्यों आज किसान को।।

Language: Hindi
Tag: गीत
527 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
World Book Day
World Book Day
Tushar Jagawat
💐प्रेम कौतुक-394💐
💐प्रेम कौतुक-394💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*बाल गीत (मेरा मन)*
*बाल गीत (मेरा मन)*
Rituraj shivem verma
कुंडलिया - गौरैया
कुंडलिया - गौरैया
sushil sarna
वृक्ष बड़े उपकारी होते हैं,
वृक्ष बड़े उपकारी होते हैं,
अनूप अम्बर
"मेरी कलम से"
Dr. Kishan tandon kranti
ख़ामोशी
ख़ामोशी
कवि अनिल कुमार पँचोली
जब मैसेज और काॅल से जी भर जाता है ,
जब मैसेज और काॅल से जी भर जाता है ,
Manoj Mahato
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दरख़्त और व्यक्तित्व
दरख़्त और व्यक्तित्व
Dr Parveen Thakur
डॉ अरुण कुमार शास्त्री 👌💐👌
डॉ अरुण कुमार शास्त्री 👌💐👌
DR ARUN KUMAR SHASTRI
निर्झरिणी है काव्य की, झर झर बहती जाय
निर्झरिणी है काव्य की, झर झर बहती जाय
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तुझे कैसे बताऊं तू कितना खाश है मेरे लिए
तुझे कैसे बताऊं तू कितना खाश है मेरे लिए
yuvraj gautam
17रिश्तें
17रिश्तें
Dr Shweta sood
साहित्य - संसार
साहित्य - संसार
Shivkumar Bilagrami
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
■ त्रिवेणी धाम : हरि और हर का मिलन स्थल
■ त्रिवेणी धाम : हरि और हर का मिलन स्थल
*Author प्रणय प्रभात*
*जल्दी उठना सीखो (बाल कविता)*
*जल्दी उठना सीखो (बाल कविता)*
Ravi Prakash
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
Keshav kishor Kumar
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मै भटकता ही रहा दश्त ए शनासाई में
मै भटकता ही रहा दश्त ए शनासाई में
Anis Shah
जीवन मार्ग आसान है...!!!!
जीवन मार्ग आसान है...!!!!
Jyoti Khari
दोहा- मीन-मेख
दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
‌‌‍ॠतुराज बसंत
‌‌‍ॠतुराज बसंत
Rahul Singh
कुछ तो उन्होंने भी कहा होगा
कुछ तो उन्होंने भी कहा होगा
पूर्वार्थ
2811. *पूर्णिका*
2811. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*** सागर की लहरें....! ***
*** सागर की लहरें....! ***
VEDANTA PATEL
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कोई चोर है...
कोई चोर है...
Srishty Bansal
कोई पत्ता कब खुशी से अपनी पेड़ से अलग हुआ है
कोई पत्ता कब खुशी से अपनी पेड़ से अलग हुआ है
कवि दीपक बवेजा
Loading...