Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2017 · 1 min read

विरह के पल

सखी री! विरह की इस पल का है कोई छोर नहीं…..

आया था जीवन में वो जुगनू सी मुस्कान लिए,
निहारती थी मैं उनको, नैनों में श्रृंगार लिए,
खोई हैं पलको से नींदें, अब असह्य सा इन्तजार लिए,
कलाई की चूरी भी मेरी, अब करती शोर नहीं,
सखी री! विरह की इस पल का है कोई छोर नहीं….

इक खेवनहार वही, मेरी इस टूटी सी नैया का,
तारणहार वही मेरी छोटी सी नैय्या का,
मझधार फसी अब नैय्या, धक-धक से धड़के है जिए,
खेवैय्या अब कोई मेरा नदी के उस ओर नही,
सखी री! विरह की इस पल का है कोई छोर नहीं….

अधूरे सपनों संग मेरी, बंधी है जीवन की डोर,
अधूरे रंगों से है रंगी, मेरी आँचल की कोर,
कहानी ये अधुरी सी, क्युँ पूरा न कर पाया मेरा प्रिय,
बिखरे से मेरे जीवन का अब कोई ठौर नहीं!
सखी री! विरह की इस पल का है कोई छोर नहीं….

सच जानकर भी, ये मन क्युँ जाता है उस ओर?
भरम के धागों से क्युँ बुनता मन की डोर?
पतंगा जल-जलकर क्युँ देता है अपनी प्राण प्रिय?
और कोई सुर मन को क्युँ करता विभोर नहीं?
सखी री! विरह की इस पल का है कोई छोर नहीं….

खेवैय्या कोई अपना सा, अब नदी के उस ओर नही!

Language: Hindi
358 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन में समय होता हैं
जीवन में समय होता हैं
Neeraj Agarwal
सत्य शुरू से अंत तक
सत्य शुरू से अंत तक
विजय कुमार अग्रवाल
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गाजी की सातवीं शक्ति देवी कालरात्
नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गाजी की सातवीं शक्ति देवी कालरात्
Shashi kala vyas
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
2547.पूर्णिका
2547.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जो भी मिलता है दिलजार करता है
जो भी मिलता है दिलजार करता है
कवि दीपक बवेजा
पल भर कि मुलाकात
पल भर कि मुलाकात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तेरा मेरा साथ
तेरा मेरा साथ
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
बादलों के घर
बादलों के घर
Ranjana Verma
झूठ भी कितना अजीब है,
झूठ भी कितना अजीब है,
नेताम आर सी
*माँ : 7 दोहे*
*माँ : 7 दोहे*
Ravi Prakash
वो इश्क जो कभी किसी ने न किया होगा
वो इश्क जो कभी किसी ने न किया होगा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
SUNIL kumar
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
इससे पहले कि ये जुलाई जाए
इससे पहले कि ये जुलाई जाए
Anil Mishra Prahari
"पहरा"
Dr. Kishan tandon kranti
गणित का एक कठिन प्रश्न ये भी
गणित का एक कठिन प्रश्न ये भी
शेखर सिंह
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
■ नया शोध...
■ नया शोध...
*Author प्रणय प्रभात*
स्टेटस
स्टेटस
Dr. Pradeep Kumar Sharma
भारती-विश्व-भारती
भारती-विश्व-भारती
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
" मैं तो लिखता जाऊँगा "
DrLakshman Jha Parimal
बस तेरे हुस्न के चर्चे वो सुबो कार बहुत हैं ।
बस तेरे हुस्न के चर्चे वो सुबो कार बहुत हैं ।
Phool gufran
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
Sahil Ahmad
भगोरिया पर्व नहीं भौंगर्या हाट है, आदिवासी भाषा का मूल शब्द भौंगर्यु है जिसे बहुवचन में भौंगर्या कहते हैं। ✍️ राकेश देवडे़ बिरसावादी
भगोरिया पर्व नहीं भौंगर्या हाट है, आदिवासी भाषा का मूल शब्द भौंगर्यु है जिसे बहुवचन में भौंगर्या कहते हैं। ✍️ राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
गरीब और बुलडोजर
गरीब और बुलडोजर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
रिश्ता
रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
संघर्ष
संघर्ष
Sushil chauhan
💐अज्ञात के प्रति-127💐
💐अज्ञात के प्रति-127💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...