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17 Jul 2017 · 1 min read

विनाश कर लिया

विकास की राहों में
सड़कों का निर्माण पर
पेड़ो की कटान को
हर पल देखा
कानपुर से झाँसी के
लाखों पेड़
एक साथ ढहा दिए गए
बिगड़ गया संतुलन
पर्यावरण का
हो गया ह्रास
धरती धधक उठी धरा
प्यास से आकुल
दिन प्रतिदिन मरते जानवर
व्याकुल मानुष
वर्षा ऋतु में भीगी
सड़कों में
देश मे बहता जलजला देखा
लेकिन बुंदेली धरती को
वर्षा ऋतु में भी
तपते देखा
चला था मनुज
विकास की राहों में
लेकिन खुद का विनाश
कर बैठे
———————-
प्रदीप कुमार गौतम
शोधार्थी, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय,झाँसी

Language: Hindi
390 Views
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