विनय स्वीकार करो। *व्रत गीत*
भोले तुम्हारी
शरण में आई
मन की मुरादें
संग में लाई
विनय स्वीकार करो विनय स्वीकार करो
तप के साथ में
व्रत भी करूंगी
रहकर निर्जल
ध्यान धरूंगी
भक्ति भाव में
डूबी रहूंगी
करो उपकार करो
यही मेरे भाव भरो
विनय स्वीकार करो विनय स्वीकार करो
त्रिलोकी के नाथ आप हो
सर पे मेरे तुम्हारा हाथ हो
सौभाग्य बने अहो भाग्य हो मेरे
बीते सुखमय सांझ सवेरे
जिसके साथ हुए मेरे फेरे
सदा ही रहे वे नियरे मेरे
“अनुनय”मुझपे उपकार करो
बेड़ा मेरा पार करो
विनय स्वीकार करो विनय स्वीकार करो
“विशेष हरतालिका तीज व्रत पर*
राजेश व्यास “अनुनय”