“”विधा नई तैयार करो””
विधाएं सभी लिख डाली, विधा नई तैयार करो।
तनिक न हो नफरत जिसमें, प्यार बस प्यार भरो।
कलमकार सारे मिल जाए ,राग नया कुछ ऐसा लाएं।
गाएं सृष्टि के सारे जन, शब्दों का सत्कार करो।।
मिटे कलुषता आए कुशलता, सृजन ऐसा अब हो जाए।
कलम चले तो ऐसी चले, स्वप्न मेरे साकार करो।।
तेरे मेरे का भेद मिटे और, हम से हमारा तक जाए।
चले लोक में जब तक जीवन, किसी का न तिरस्कार करो।।
हम सोचेंगे और लिखेंगे मानवता तभी तो आएगी।
अनुनय आओ, विधा वह लाओ, प्यार जिसमें अपार भरो।।
राजेश व्यास अनुनय