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4 Aug 2019 · 1 min read

विधाता छंद

#विधा-विधाता छन्द आधारित गीत
#विधाता छन्द विधान-1222 1222 1222 1222+28 मात्रा1,7,15,22वीं मात्रा लघु अनिवार्य
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सजन से ये मिलन अपना, सुखद अहसास लाया है।
बहारे आ गई देखो, फिजॉं में प्यार छाया है।।

पड़ेंगे बाग में झूले, सजन हमको झुलायेंगे।
बिछाकर पुष्प की शैय्या, गले हमको लगायेंगे।।
मिला सहचर हमें ऐसा, सुखद संसार लाया है।
बहारें आ गई देखो, फिजाॅं में प्यार छाया है।।

नयन से नेह बरसेगा, पखावज मन बजायेगा।
सजन के प्रेम में पड़कर, मगन मन झूम जायेगा।।
जुदाई की गई रातें, प्रणय हृद ने जगाया है।
बहारें आ गई देखो, फिजाॅं में प्यार छाया है।।

भली रिमझिम घिरी बारिश, पपीहा गीत है टेरे ।
मगन मन मोर सा झूमे, पिया जी सामने मेरे ।।
विरह की छॅंट गई बदली, सजन का नेह आया है।
बहारें आ गई देखो , फिजॉं में प्यार छाया है ।।

बिना देखे तुम्हैं साजन, नयन सावन छलकता था।
पपीहे की तरह ही मन , घटाओं से ललकता था।।
धवल बन बूंद स्वाती की, पिया चितचोर आया है।
बहारें आ गईं देखो, फिजाॅं में प्यार छाया है।।

सुखद संदेश लेकर ही, नवल ये भोर आई है ।
मुखर है प्रेम की भाषा, मधुर सुखसार लाई है ।।
प्रतीक्षित अंत था दारुण , अमित प्रारम्भ पाया है ।
बहारें आ गई देखो , फिजाॅं में प्यार छाया है ।।

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 789 Views
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