Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2017 · 3 min read

विजेता

आज आप पढ़ें विजेता की पृष्ठ संख्या पाँचऔर छ:।
नीमो तो हर शाम बच्चों के साथ बच्ची बन अपने बचपन का दीदार कर लेती थी परन्तु जब से नीमो के बच्चे पैदा न होने की ‘खबर’ पड़ौस में फैली है, उनके घर एक भी बच्चा नहीं आता। बच्चों के माता-पिता को डर है कि कहीं निसंतान राजाराम की पत्नी बच्चों पर कोई टोटका न कर दे।
ए दिन राजाराम ने अपने एक पड़ौसी के बच्चे से कहा,” ओ सालू! आ तुझे चीज दिलवाऊँ”
एक वकील होने के नाते राजाराम शुद्द हिंदी में बात करता था। इसलिए गाँव वाले उसे अंग्रेज कहकर पुकारते थे।
वह प्यारा- सा बच्चा राजाराम के साथ चल पड़ा। राजाराम की जेब में दो रुपये का नोट पड़ा था और आज उसका मन मीठी गोली(एक प्रकार की टाफी) खाने का कर रहा था। यदि वह खुद मीठी गोली खरीदता तो दुकानदार उसे ताना मारता कि किसके लिए खरीद रहे हो, बच्चा तो है नहीं। पिछली बार जब उसने नीमो की खात्तिर मुरमुरे खरीदे थे तो दुकानदार ने ऐसी ही बात कही थी।
राजाराम ने उस बच्चे के हाथ में दो रुपये का नोट देकर कह,”जा बेटा,गोली ले आ। मै तुझे यहीं मिलूंगा। दोनों खाएंगे मजे से।”
यह सुनते ही वह बच्चा दुकान की तरफ भागा। संयोग से वहाँ उस बच्चे का बाप बैठा हुआ था। अपने बच्चे के हाथ में दो रुपये का नोट देखकर उसने कड़ाई से पूछा,”कठे तै ल्याया सालू दो रपिया?”
बच्चे ने मासूमियत के साथ जवाब दिया,”अंगरेज बाबासाह नै दियो सै।”
यह सुनते ही उस बच्चे के पिता के होश उड़ गए। दुकानदार ने उसे भड़काते हुए कहा,”अपणे जातक नै संभाल ले भाई। यो अंगरेज आजकल मंदिर के पुजारी धोरै बैठा रहवै सै।”
दुकानदार की यह बात उस अनपढ़ आदमी के अंधविश्वास को चौगुणा करने के लिए काफी थी। मंदिर के सामने से शीश झुकाकर निकलने वह मंदिर-भक्त यह भी भूल गया कि जिस मंदिर में वह रोज दिया जलाकर आता है, वहाँ जादू- टोने का क्या काम।
उसकी आस्था पलभर में डगमगा गई थी।
वहअपने बच्चे का हाथ पकड़कर राजाराम के पास जा पहुँचा। उसने दो रुपये का वह नोट राजाराम की तरफ उछालते हुए कहा,”ओ अंगरेज! मेरे जातक नै गोली खुवाकै मारणा चाहवै था?”
यह सुनकर राजाराम हैरान रह गया। उसने संयमित वाणी में कहा,”भाई! जो मीठी गोली से आदमी मरते हों तो इन्हें सीमा पर ले चलें! भारत- पाकिस्तान की लड़ाई चल रही है, दुश्मन इन्हें देखते ही खाने को भागेगा और मर जाएगा।”
“तूं मन्नै बातों म्ह ना उलझावै अंगरेज। या तेरी कचहरी ना सै। सच बता मेरे जातक नै गोली क्यूं खुवाणा चाहवै था।”
इस दौरान कुछ लोग वहाँ खड़े हो गए थे। सरदी में भी राजाराम को पसीना आ गया था। उसने अपना दो रुपये का नोट उठाते हुए कहा,”शीलू भाई मेरा मन मीठी गोली खाने को कर रहा था। मैं खुद जाता तो दुकानदार—,खैर छोड़ यार। बात इतनी-सी है कि मैंने अपने लिए सालू से गोली मंगवाई थी।”
“मंगाई थी और फिर तूं खिलाता भी।
“तो क्या हो जाता शीलू भाई? क्या ये मेरा कुछ नहीं लगता?”
“लग्यो करता अंगरेज पर ईब—ईब तूं टूणा-टोटका करण लाग्यो सै।”
“भाई शीलू, ये बहम मैं कैसे दूर करूँ। मैं शहर में पढ़-लिखा हूँ और ये अच्छी तरह जानता हूँ कि जादू-टोना कुछ नहीं होता। यदि ऐसा होता तो पूर्वी पाकिस्तान क्यों लड़ रहा होता? वह पश्चिमी पाकिस्तान पर जादू-टोना करके अलग हो जाता और—।”
राजाराम की बात को बीच में ही काटते हुए वह बोला,”देख अंगरेज भाई, आगे तैं मेरे बालक तैं बोलिए भी ना। तूं पइसों वाला होगा, पर ऊलाद वाला मैं सूं। तेरे पइसों तैं घणी कीमती सै मेरी ऊलाद।” यह सुनते ही राजाराम का दिल घक से रह गया। वहाँ खड़े लोग उसे घूर रहे थे। इस तरह के अपमान का सामना उसने पहली बार किया था। वह बेचारा मीठी गोली खाने के मूढ़ में था पर मिले उसे कड़वे बोल।
घर आकर उसने यह घटना अपनी पत्नी को बताई तो वह रोने लगी। उसे धैर्य बंधाते हुए राजाराम बोला,”इसमें हमारा कोई दोष नही है नीमो और ना ही इन लोगों का दोष है। ये बेचारे अनपढ़-गंवार यहीं तक सोच पाते हैं।”
नीमो ने सुबकते हुए कहा,”इसम्ह म्हारो खोट सै। मैं थाहमनै एक जातक भी ना दे सकती। थाहम दूजा ब्याह—-,”
बीच में ही राजाराम बोल पड़ा,”चुप कर नामो। मैं एक बच्चे की खात्तिर तुमको धोखा दे दूँ? अपने भाग्य में होगा तो हमारे घर भी किलकारी गूंजेगी।”
इस घटना के दो दिन बाद नीमों की माँ अपने दामाद और बेटी से मिलने आ गई।

Language: Hindi
1 Like · 234 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नेता जी शोध लेख
नेता जी शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*हर शाम निहारूँ मै*
*हर शाम निहारूँ मै*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कथ्य-शिल्प में धार रख, शब्द-शब्द में मार।
कथ्य-शिल्प में धार रख, शब्द-शब्द में मार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐प्रेम कौतुक-264💐
💐प्रेम कौतुक-264💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सोचता हूँ  ऐ ज़िन्दगी  तुझको
सोचता हूँ ऐ ज़िन्दगी तुझको
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
रेत पर मकान बना ही नही
रेत पर मकान बना ही नही
कवि दीपक बवेजा
मात -पिता पुत्र -पुत्री
मात -पिता पुत्र -पुत्री
DrLakshman Jha Parimal
मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
अमित मिश्र
प्यार का इम्तेहान
प्यार का इम्तेहान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा, वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ !
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा, वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ !
The_dk_poetry
*लोकतंत्र में होता है,मतदान एक त्यौहार (गीत)*
*लोकतंत्र में होता है,मतदान एक त्यौहार (गीत)*
Ravi Prakash
मोबाइल
मोबाइल
Punam Pande
जीत के साथ
जीत के साथ
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
Rj Anand Prajapati
🌹⚘2220.
🌹⚘2220.
Dr.Khedu Bharti
*क्या देखते हो *
*क्या देखते हो *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*तुम न आये*
*तुम न आये*
Kavita Chouhan
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"सिक्का"
Dr. Kishan tandon kranti
■सामयिक दोहा■
■सामयिक दोहा■
*Author प्रणय प्रभात*
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
सत्य और अमृत
सत्य और अमृत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Destiny
Destiny
Sukoon
शब्दों में प्रेम को बांधे भी तो कैसे,
शब्दों में प्रेम को बांधे भी तो कैसे,
Manisha Manjari
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
चन्द्रयान..…......... चन्द्रमा पर तिरंगा
चन्द्रयान..…......... चन्द्रमा पर तिरंगा
Neeraj Agarwal
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
Janeu-less writer / Poem by Musafir Baitha
Janeu-less writer / Poem by Musafir Baitha
Dr MusafiR BaithA
Loading...