वासना सिर चढ़ कर नाच रही है …
बुद्धि मनुष्य को विनाश की ओर ले जा रही है ,
क्योंकि वासना सिर पर चढ़ कर नाच रही है ।
जिस्म की नुमाईश जो इस तरह बढ़ रही है ,
जिस्म ही जिस्म रह गया,आत्मा तो मर रही है ।
मालूम नहीं क्यों दो घड़ी के सुख के वास्ते ,
अपने कर्म / प्रारब्ध को यूं नष्ट कर रही है ।
कहना आसान है के “देखा जाएगा जो होगा “,
मगर जब भुगतना पड़ेगा वो घड़ी बहुत भारी है ।
इन बेशर्म फिल्म अभिनेत्रियों के घिनौनी करतूतें,
भारतीय समाज की संस्कृति को दूषित कर रही है।
नारी की शाश्वत सुंदरता भारतीय वेश में फबती है,
अर्धनग्न अवस्था में तो वो कुलटा ही दिखती है।
इनके ऐसे कुकर्मों का दुष्प्रभाव क्या इन्हें नहीं पता ?
बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की ही परिणति है ।
गैर वैवाहिक संबंध या लिव इन रिलेशनशिप क्या है ?
यह सब इन अमीरजादियो की ही दूषित नीति है ।
पतन की उन्मुख हो रहे यह अत्यआधुनिक नर नारी , मनुष्य जन्म की तो उन्होंने कर दी ऐसी दुर्गति है ।
ना जाने इस घोर कलयुग का अंत किस रूप में होगा ,
पशुओं से भी कहीं बदतर जिनके कुकर्मों की गति है।
विधाता भी देख रहा कोई किस हद तक गिर सकता है,
उसकी सहनशक्ति की सीमा फिर प्रलय ही लाती है।