Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2018 · 2 min read

” वापस जल्दी आना “

“रोज रोज पत्नी जी हमको देती थीं ये ताना,
मायके चली जाऊँगी फिर बैठ यहीं पछताना,
एक दिन हो गया सीमा पार,
मैंने बोल दिया मेरे यार,
झूठी धमकी बंद करो हमको नही डराओ,
मैं तो ऐश करूँगा जब भी चाहो मायके जाओ,
कुछ बरस वहीं बिताना जल्दी वापस नहीं आना,
इतनी बात सुनी बीवी ने शुरू किया चिल्लाना,
बोली गाड़ी मंगवा दो,
मुझको आज़ ही मायके जाना,
ये स्वर सुनते ही मेरे यार खुशी का ना रहा ठिकाना,
फिर जाते-जाते जाने क्यों थोड़ी सी मुसकायी,
दिल में मेरे घटना की कोई आशंका आयी,
मैडम जी के जाते मैंने मित्रों को बुलवाया,
संग मिलकर मित्रों के हमने खूब धमाल मचाया,
धीरे धीरे ढल गयी शाम, सोचा कर लूँ घर का काम,
सफ़ाई तो कर ली हमने फिर आयी किचेन की बारी, सोचा आज बना लेता हूँ पसंदीदा डिश ही सारी,
कोई परहेज़ नही करना, अब नही किसी से डरना,
आज़ादी मिल गयी है अब तो अपनी मर्ज़ी से रहना,
घंटों किचन में ढूंढा पर न मिला कोई सामान,
कहाँ कढ़ाई,कछड़ी,चम्मच और पतीला दोना,
नमक,मिर्च,हल्दी कुछ मिला ना देखा कोना-कोना,
बीवी के मुस्काने की फिर वजह को हमने जाना,
घर को बना गई थीं पत्नी एक अजायब खाना,
मुश्किल था कुछ भी मिल पाना,
भूख ने शुरू किया तड़पाना,
पेट के चूहों ने मुझको पूरी रात सताया,
नींद न थी आँखों में मेरे, बैठ के फिर पछताया,
सुबह हुई सोचा मैं बीबी को थोड़ा समझाऊँ,
गुस्सा छोड़ूँ यार प्यार से बीवी को बुलवाऊँ,
फोन किया मीठे स्वर में, सुनो याद तुम्हारी आती है,
जल्दी घर आ जाओ तन्हाई मुझको तड़पाती है,
बीवी बोली गुस्से में अब मुझको घर नहीं आना,
मीठी-मीठी बातों से बंद करो बहलाना,
बोला मैं हर बात सुनूंगा, वापस आओ रानी,
घर आपका चला लो चाहे जितनी भी मनमानी,
घर वापस आने की चाहे शर्त कोई मनवा लो,
सुनते बोली खत्म करो झगड़ा गाड़ी भिजवा दो,
बोली सुन लो ‘जाने जाना’,मुझको फिर से नहीं सताना,
तुमने मुझे सताया तो मै जेलर बन जाऊँगी,
तुम कैदी बन जाओगे घर होगा कैदखाना,
राज चलेगा मेरा ही मनमाना,
शर्तें मंज़ूर हो तभी बुलाना,
आगे कुआँ था अपने पीछे थी गहरी खाई,
पत्नी की हर बात में हमने मंज़ूरी दिखलाई,
बोला वापस जल्दी आना,घर तुम वापस जल्दी आना “

Language: Hindi
700 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*दिन गए चिट्ठियों के जमाने गए (हिंदी गजल)*
*दिन गए चिट्ठियों के जमाने गए (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*लब मय से भरे मदहोश है*
*लब मय से भरे मदहोश है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Milo kbhi fursat se,
Milo kbhi fursat se,
Sakshi Tripathi
बदी करने वाले भी
बदी करने वाले भी
Satish Srijan
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
Ranjeet kumar patre
💐प्रेम कौतुक-466💐
💐प्रेम कौतुक-466💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आक्रोश - कहानी
आक्रोश - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुत्ते / MUSAFIR BAITHA
कुत्ते / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
कलियुगी रिश्ते!
कलियुगी रिश्ते!
Saransh Singh 'Priyam'
स्त्री
स्त्री
Ajay Mishra
जिंदगी झंड है,
जिंदगी झंड है,
कार्तिक नितिन शर्मा
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
पूर्वार्थ
नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
नारी निन्दा की पात्र नहीं, वह तो नर की निर्मात्री है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
4) “एक और मौक़ा”
4) “एक और मौक़ा”
Sapna Arora
जिंदगी की पहेली
जिंदगी की पहेली
RAKESH RAKESH
‌everytime I see you I get the adrenaline rush of romance an
‌everytime I see you I get the adrenaline rush of romance an
Sukoon
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
वक्त हो बुरा तो …
वक्त हो बुरा तो …
sushil sarna
मेरा सुकून
मेरा सुकून
Umesh Kumar Sharma
नवगीत
नवगीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
मेरी कलम......
मेरी कलम......
Naushaba Suriya
"नींद का देवता"
Dr. Kishan tandon kranti
!! घड़ी समर की !!
!! घड़ी समर की !!
Chunnu Lal Gupta
मैं
मैं
Vivek saswat Shukla
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
2413.पूर्णिका
2413.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...