वाणी
दावानल को शीतल कर दे,आग लगा दे पानी में।
सोच समझकर बोलो बानी,वो दम होता है वाणी में।।
मुंह से निकले बोल, और तीर कमान से।
बापिस नहीं हो सकते, चले जो जुवान और कमान से।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दावानल को शीतल कर दे,आग लगा दे पानी में।
सोच समझकर बोलो बानी,वो दम होता है वाणी में।।
मुंह से निकले बोल, और तीर कमान से।
बापिस नहीं हो सकते, चले जो जुवान और कमान से।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी