Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2018 · 1 min read

वहम एक ये पाल

रखा अहम् ने हर समय, वहम एक ये पाल !
मानो उसने ही यहाँ, सब कुछ रखा सँभाल! !

करनी पे अपनी कभी,. करना नहीं गुमान !
अच्छे अच्छों का यहाँ, टूट गया अभिमान !!
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 221 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-473💐
💐प्रेम कौतुक-473💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
क्यूट हो सुंदर हो प्यारी सी लगती
क्यूट हो सुंदर हो प्यारी सी लगती
Jitendra Chhonkar
उफ्फ्फ
उफ्फ्फ
Atul "Krishn"
रिमझिम बरसो
रिमझिम बरसो
surenderpal vaidya
23/101.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/101.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"व्याख्या-विहीन"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल/नज़्म - ये हर दिन और हर रात हमारी होगी
ग़ज़ल/नज़्म - ये हर दिन और हर रात हमारी होगी
अनिल कुमार
मुहब्बत
मुहब्बत
Pratibha Pandey
"जय जवान जय किसान" - आर्टिस्ट (कुमार श्रवण)
Shravan singh
कहानी संग्रह-अनकही
कहानी संग्रह-अनकही
राकेश चौरसिया
युद्ध घोष
युद्ध घोष
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
होने नहीं दूंगा साथी
होने नहीं दूंगा साथी
gurudeenverma198
A setback is,
A setback is,
Dhriti Mishra
नवजात बहू (लघुकथा)
नवजात बहू (लघुकथा)
दुष्यन्त 'बाबा'
मुहब्बत
मुहब्बत
बादल & बारिश
चंद तारे
चंद तारे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नश्वर संसार
नश्वर संसार
Shyam Sundar Subramanian
14) “जीवन में योग”
14) “जीवन में योग”
Sapna Arora
सीखने की भूख (Hunger of Learn)
सीखने की भूख (Hunger of Learn)
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
फोन:-एक श्रृंगार
फोन:-एक श्रृंगार
पूर्वार्थ
जीवन साथी,,,दो शब्द ही तो है,,अगर सही इंसान से जुड़ जाए तो ज
जीवन साथी,,,दो शब्द ही तो है,,अगर सही इंसान से जुड़ जाए तो ज
Shweta Soni
कितने बड़े हैवान हो तुम
कितने बड़े हैवान हो तुम
मानक लाल मनु
जल संरक्षण बहुमूल्य
जल संरक्षण बहुमूल्य
Buddha Prakash
"दुमका संस्मरण 3" परिवहन सेवा (1965)
DrLakshman Jha Parimal
क्रोध
क्रोध
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बरखा रानी
बरखा रानी
लक्ष्मी सिंह
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और      को छोड़कर
वह फिर से छोड़ गया है मुझे.....जिसने किसी और को छोड़कर
Rakesh Singh
सब कुछ हमारा हमी को पता है
सब कुछ हमारा हमी को पता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Loading...