Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2020 · 1 min read

वर्ण पिरामिड

विषय–कोयल या उसके पर्याय
विधा –वर्ण पिरामिड
=====================
(1)

ये
पिक
कूँ बोले
मिश्री घोले
गीत सुनाए
मन अकुलाए
साजन नहीं आए
——————–
(2)

जा
बैरी
कोकिल
वनप्रिया
हरती जिया
अगन लगाती
हिय झुलसाती
मन पीर जगाती
——————–
====================
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

Language: Hindi
372 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
मां जैसा ज्ञान देते
मां जैसा ज्ञान देते
Harminder Kaur
चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
Dr. Man Mohan Krishna
💐प्रेम कौतुक-210💐
💐प्रेम कौतुक-210💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
Phool gufran
घर के आंगन में
घर के आंगन में
Shivkumar Bilagrami
बाजार से सब कुछ मिल जाता है,
बाजार से सब कुछ मिल जाता है,
Shubham Pandey (S P)
2786. *पूर्णिका*
2786. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पापा के परी
पापा के परी
जय लगन कुमार हैप्पी
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ
Vishal babu (vishu)
पूरी कर  दी  आस  है, मोदी  की  सरकार
पूरी कर दी आस है, मोदी की सरकार
Anil Mishra Prahari
आज दिवस है  इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
आज दिवस है इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
sushil sarna
उम्र निकल रही है,
उम्र निकल रही है,
Ansh
आंसू
आंसू
नूरफातिमा खातून नूरी
जिसकी जिससे है छनती,
जिसकी जिससे है छनती,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कमरछठ, हलषष्ठी
कमरछठ, हलषष्ठी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
जीवन की विषम परिस्थितियों
जीवन की विषम परिस्थितियों
Dr.Rashmi Mishra
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
अजहर अली (An Explorer of Life)
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
Arvind trivedi
अपना घर
अपना घर
ओंकार मिश्र
करम
करम
Fuzail Sardhanvi
अटल-अवलोकन
अटल-अवलोकन
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
स्वाभिमानी किसान
स्वाभिमानी किसान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
পৃথিবী
পৃথিবী
Otteri Selvakumar
*चिंता चिता समान है*
*चिंता चिता समान है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मुहब्बत के मोती*
*मुहब्बत के मोती*
आर.एस. 'प्रीतम'
जय रावण जी / मुसाफ़िर बैठा
जय रावण जी / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
उसी पथ से
उसी पथ से
Kavita Chouhan
Loading...