वर्ण पिरामिड
संगम
(1)
ये
कैसा
संगम
है जहाँ कि
अपराधी तो
बेलगाम घूमे
ये कैसा रामराज्य?
(2)
वे
नित
हारते
जा रहे हैं
लड़ते हुए,
फिर भी लड़ते
संगम अन्याय का।
(3)
मैं
गया
संगम
नहा लिया
पाप धो लिया
मुक्त हो तो गया।
(4)
ये
सब
होना ही
है,संगम
अपराध का
बनता समाज
चिंतित होना होगा।
●सुधीर श्रीवास्तव