Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jul 2016 · 1 min read

वर्ण पिरामिड और सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक

यह मेरी नवविधा है – ”वर्ण पिरामिड”
*************
[इसमे प्रथम पंक्ति में -एक ; द्वितीय में -दो ; तृतीया में- तीन ; चतुर्थ में -चार; पंचम में -पांच; षष्ठम में- छः; और सप्तम में -सात वर्ण है,,, इसमें केवल पूर्ण वर्ण गिने जाते हैं ,,,,मात्राएँ या अर्द्ध -वर्ण नहीं गिने जाते ,,,यह केवल सात पंक्तियों की ही रचना है इसीलिए सूक्ष्म में अधिकतम कहना होता है ,,किन्ही दो पंक्तियों में तुकांत मिल जाये तो रचना में सौंदर्य आ जाता है ] जैसे-

है
धीर ,
गंभीर,
धरा पुत्र ,
बहा दे नीर,
पर्वत को चीर ,
युद्ध में महावीर । (1)

ये
पग,
साहसी,
अविचल,
लक्ष्य बोधक,
विजय द्योतक ,
स्वर्णिम सम्बोधक । (2)

**सुरेशपाल वर्मा ‘जसाला’ (दिल्ली)

————————————————

मेरी एक और नव विधा – *सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक*
***********************

*****कृपया ध्यान दें ****(दोहे के साथ ,,,जिस शब्द या शब्दों से पँक्ति समाप्त होती है ,,उसी शब्द या शब्दों से अगली पंक्ति प्रारम्भ होती है ,,,हर पंक्ति 13 +11 मात्राभार रखती है ) मुक्तक में तीसरी पंक्ति का तुकांत भिन्न होता है.

*****दोहानुसार मात्राक्रम प्रति पंक्ति –

**[१] — 4 +4 +2 +3 (1 2 ),,,,,,4 +4+3 (2 1 )
या [२]—3 +3 +4 +3 (1 2 ),,,,3+3+2+3 (2 1 )
या [३]—4 +4 +2 +3 (1 2 ),,,,3+3+2+3 (2 1 )
या [४]—3 +3 +4 +3 (1 2 ),,,,,,,4 +4+3 (2 1)

*****************************************

सच्चाई का खून ह्वै ,खिला झूठ का रंग
रंग प्यार का बह गया ,है विधान भी दंग
दंग सभी जन मन यहाँ ,देख वोट का खेल
खेल सत्य का ही करो ,रहो सभी मिल संग। [१]
वृक्ष तले जब राजते ,गौं पालक घन श्याम ;
श्याम रंग मन ये बसा,भजते जो निष्काम ;
काम क्रोध संकट कटें ,प्रमुदित मन संसार ;
सार रूप राधे भजो ,भजो कृष्ण का नाम । [२]

*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)

Category: Sahitya Kaksha
Language: Hindi
Tag: लेख
18 Likes · 7 Comments · 1554 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Time Travel: Myth or Reality?
Time Travel: Myth or Reality?
Shyam Sundar Subramanian
एक तरफा दोस्ती की कीमत
एक तरफा दोस्ती की कीमत
SHAMA PARVEEN
कहते हैं,
कहते हैं,
Dhriti Mishra
सजल...छंद शैलजा
सजल...छंद शैलजा
डॉ.सीमा अग्रवाल
फुटपाथ की ठंड
फुटपाथ की ठंड
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"दुर्भाग्य"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा- मीन-मेख
दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
💐प्रेम कौतुक-555💐
💐प्रेम कौतुक-555💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
घिन लागे उल्टी करे, ठीक न होवे पित्त
घिन लागे उल्टी करे, ठीक न होवे पित्त
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
//एहसास//
//एहसास//
AVINASH (Avi...) MEHRA
इतना हमने भी
इतना हमने भी
Dr fauzia Naseem shad
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मेरी प्यारी कविता
मेरी प्यारी कविता
Ms.Ankit Halke jha
वो देखो ख़त्म हुई चिड़ियों की जमायत देखो हंस जा जाके कौओं से
वो देखो ख़त्म हुई चिड़ियों की जमायत देखो हंस जा जाके कौओं से
Neelam Sharma
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
फालतू की शान औ'र रुतबे में तू पागल न हो।
सत्य कुमार प्रेमी
*ऐलान – ए – इश्क *
*ऐलान – ए – इश्क *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2400.पूर्णिका
2400.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जग मग दीप  जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
जग मग दीप जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वक्त कब लगता है
वक्त कब लगता है
Surinder blackpen
🧟☠️अमावस की रात ☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात ☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
Kumar lalit
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
आप और हम जीवन के सच
आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
कर ही बैठे हैं हम खता देखो
कर ही बैठे हैं हम खता देखो
Dr Archana Gupta
The flames of your love persist.
The flames of your love persist.
Manisha Manjari
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बूढ़ा बरगद का पेड़ बोला (मार्मिक कविता)
बूढ़ा बरगद का पेड़ बोला (मार्मिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
*अपने पैरों खड़ी हो गई (बाल कविता)*
*अपने पैरों खड़ी हो गई (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जिसने सिखली अदा गम मे मुस्कुराने की.!!
जिसने सिखली अदा गम मे मुस्कुराने की.!!
शेखर सिंह
■ परिहास...
■ परिहास...
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...