वरना
वरना
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अरे बेशर्मों,
कुछ तो शरम करो
कम से कम अपने अल्लाह से डरो।
हमनें सबको साथ लेकर
अपने प्रभु के मंदिर का
रामभक्त से हर्षोल्लास के साथ
भूमि पूजन कराया।
बहुत आनंद आया
इकबाल अंसारी को भी
खुशी खुशी बुलाया।
सारा देश खुश है
आँख फाड़कर देखो
तुम्हारे अपने भी बहुत मस्त हैं।
फिर बददिमाग बच्चे
अक्ल के कच्चे
तुझे किस चींटी ने काट खाया
जो तुझे सीधी बात भी
बिल्कुल समझ में न आया।
गिरगिट की तरह तूने
अपना रंग दिखाया,
शांत तालाब में कंकड़ फेंककर
हलचल मचाया।
जाने किस घमंड में हमें धमकाया
अब तू और तेरे कटटरपंथी अब्बा
कान खोलकर सुन लो
अब तेरी एक न चलेगी
किसी भी कीमत पर
तेरी दाल न गलेगी।
बीते कल के घमंड में मत रहना
वर्तमान में जीने की
आदत डाल लेना
शराफत से जीना सीख लेना।
वरना
सोते शेर अब जाग गये हैं
जंगल से निकलकर
मैदान में आ गये हैं।
बेलगाम कुत्तों
वे तुझे चीखने का भी
मौका नहीं देंगे
तुझे कच्चा चबा जायेंगे।
तेरे पुरखे भी
कब्र में मिमियायेंगे
बेचारे कब्र से आकर
तुझे कैसे बचायेंगे?
बाबर ने हमारे राम मंदिर पर
हमला कर मस्जिद बनाई थी,
हम सच के साथ आगे बढ़े,जीता,
फिर मंदिर निर्माण का खाका खींचा।
शराफत से सच स्वीकार कर लो
इकबाल अंसारी से भी सलाह ले लो
उन्होंने खुशी खुशी सच स्वीकारा
तभी तो बने हमारा दुलारा।
तुम भी सच स्वीकार करो
अपनी मस्जिद का खाका तैयार करो
बुलाओ हमें भी
तो हम भी खुशी खुशी आयेंगे,
अपने श्रीराम प्रभु के
रहमत की मिट्टी लायेंगे,
मस्जिद निर्माण की नींव
बाखुशी रखवायेंगे।
?सुधीर श्रीवास्तव