Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2018 · 1 min read

वन्य जीव की दुर्दशा

हो गई प्रदूषित नदिया रानी
कैसे साँस ले मीन रानी।

यह मनुष्य ही बंदोबस्त में नही जानी ।
मर मर के जी रहे है जल प्राणी ।
गर्मी में पड़ा है खाली कुँआ ,,
शहरो में उठ रहा है काला धुँआ ।

कटते जा रहे है अँधाधुंध पेड़ ,,
सोच रहा है इंसान बना लू एक अच्छा मेड ।

पेड़ कटे तो पंछी नही ,,
इंसान क्यों नही समझ रहा कि इसके बिना भी हंमारी कश्ती नही ।

वन्य , घरेलू प्राणी की दर्दनिय स्थति ।
कहा है !?हंमे इनके बिना जग में मस्ती ।

इन चहकती दयालु बेजुबान पंछी की आवाज पहचानो
इन प्यासे पंछी और जीव को
चटोरे में पानी और दाना डालो।

✍✍?प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित कापीराइट कविता
दिनाक 04/04/2018
मोबाईल नंबर 9165996865

Language: Hindi
499 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नित्य करते जो व्यायाम ,
नित्य करते जो व्यायाम ,
Kumud Srivastava
*Dr Arun Kumar shastri*
*Dr Arun Kumar shastri*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
आई वर्षा
आई वर्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है
Satyaveer vaishnav
*रिश्वत ( कुंडलिया )*
*रिश्वत ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
विजय कुमार अग्रवाल
दिन भर जाने कहाँ वो जाता
दिन भर जाने कहाँ वो जाता
डॉ.सीमा अग्रवाल
" नारी का दुख भरा जीवन "
Surya Barman
!!! होली आई है !!!
!!! होली आई है !!!
जगदीश लववंशी
खुबिया जानकर चाहना आकर्षण है.
खुबिया जानकर चाहना आकर्षण है.
शेखर सिंह
CUPID-STRUCK !
CUPID-STRUCK !
Ahtesham Ahmad
💐प्रेम कौतुक-561💐
💐प्रेम कौतुक-561💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वैविध्यपूर्ण भारत
वैविध्यपूर्ण भारत
ऋचा पाठक पंत
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
सोचो यदि रंगों में ऐसी रंगत नहीं होती
सोचो यदि रंगों में ऐसी रंगत नहीं होती
Khem Kiran Saini
सोच समझकर कीजिए,
सोच समझकर कीजिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गुमनाम शायरी
गुमनाम शायरी
Shekhar Chandra Mitra
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
समस्त जगतकी बहर लहर पर,
समस्त जगतकी बहर लहर पर,
Neelam Sharma
लटकते ताले
लटकते ताले
Kanchan Khanna
कोई पागल हो गया,
कोई पागल हो गया,
sushil sarna
■ सुबह की सलाह।
■ सुबह की सलाह।
*Author प्रणय प्रभात*
करते तो ख़ुद कुछ नहीं, टांग खींचना काम
करते तो ख़ुद कुछ नहीं, टांग खींचना काम
Dr Archana Gupta
योग का गणित और वर्तमान समस्याओं का निदान
योग का गणित और वर्तमान समस्याओं का निदान
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
DrLakshman Jha Parimal
2907.*पूर्णिका*
2907.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
बेटी ही बेटी है सबकी, बेटी ही है माँ
Anand Kumar
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
Bhupendra Rawat
समा गये हो तुम रूह में मेरी
समा गये हो तुम रूह में मेरी
Pramila sultan
Loading...