Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Dec 2018 · 2 min read

वचन

लघुकथा
शीर्षक – वचन
===============
‘सुनिये, मुझे कुछ रुपए चाहिए… माँ का फोन आया था,छुटकी के कॉलेज दाखिले के लिए, कल लास्ट डेट है ‘ – सीमा ने अपने पति शरद से कहा ।

रुपये की बात सुनते शरद का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया- ‘मैंने तुम्हारे खानदान का ठेका नही ले रखा है, उन लोगो का बोझा ढोते ढोते मै बर्बाद हुआ जा रहा हूँ, जिंदगी बर्बाद हुई जा रही है,,,,, ‘ – शरद ने झल्लाकर कहा l
– ‘शादी से पहले तो कह दिया था कि मै सारी जिम्मेदारी उठाउगा, तुम तो जानते थे कि मेरे सिवा उनका कोई नही है ‘ –

– ‘ मेरी मति मारी गई थी, और क्या? ‘ – कहते हुए शरद ने सीमा को मारने के लिए हाथ उठाया दिया फिर क्रोध में भन्नाता घर से बाहर निकल गया ।

सीमा एक कोने में बैठ कर सिसकती हुई सोचने लगी – माँ का क्या होगा.. मैंने उसे वचन दिया था कि उसका साथ कभी नहीं छोड़ूंगी… अब उस बचन का क्या होगा….
सीमा को अपने बचपन के दिन याद आने लगे, रूपहली यादें मनः-पटल पर छाने लगी….. आज जिस माँ के लिए कुछ न कर पाने को विवश है, उस माँ ने बचपन से आज तक उसकी हर इच्छा पूरी की थी… बापू के असमय जाने के बाद माँ ही तो थी जो खुद सारे दुःख सह कर भी सुखों की बारिश करती रही…. मनपसंद स्कूल…. मनपसंद कपड़े … खिलौने…. और न जाने क्या- क्या… वह कहती थी – ‘माँ मै राजकुमार से व्याह करुंगी’ – तो माँ झट सीने से लगाकर कहती – ‘क्यों नहीं मेरी लाडो तू तो राजकुमारी है तुझे व्याहने तो कोई राजकुमार ही आएगा’ –
व्याह हुआ भी तो अपनी पसंद के राजकुमार से.. माँ समाज से लड़ी, जाति-बिरादरी के कड़वे वचन सहे…. लेकिन मेरे मन को न मारा… और शरद है कि ,,,,,,,

मेज पर रखा हुआ मोबाइल बहुत देर से बज रहा था, अचानक उसकी तंद्रा टूटी … उठकर मोबाईल उठाया… – “हैलो… ”

माँ का फोन था….. सीमा ने स्वयं को संयत किया – ‘,,,, हाँ, माँ, छुटकी को भेज दो पैसे का इंतजाम हो जाएगा .. उसकी पढ़ाई बंद नही होनी चाहिए’

सीमा ने मोबाइल रख दिया …… और इंतजाम की बात सोचते हुए माँ दिया बक्सा खोला और माँ की दी हुई अंगूठी खोजने लगी।

Language: Hindi
672 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#आज_का_दोहा
#आज_का_दोहा
संजीव शुक्ल 'सचिन'
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
Dr Archana Gupta
शोख- चंचल-सी हवा
शोख- चंचल-सी हवा
लक्ष्मी सिंह
*माता (कुंडलिया)*
*माता (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
World stroke day
World stroke day
Tushar Jagawat
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
जिंदगी और जीवन तो कोरा कागज़ होता हैं।
Neeraj Agarwal
हथिनी की व्यथा
हथिनी की व्यथा
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
3136.*पूर्णिका*
3136.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"चुलबुला रोमित"
Dr Meenu Poonia
२०२३
२०२३
Neelam Sharma
जिम्मेदारियाॅं
जिम्मेदारियाॅं
Paras Nath Jha
आंखें
आंखें
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
परमात्मा
परमात्मा
ओंकार मिश्र
अनेक को दिया उजाड़
अनेक को दिया उजाड़
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"लाचार मैं या गुब्बारे वाला"
संजय कुमार संजू
"अ अनार से"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम्हारे बिन कहां मुझको कभी अब चैन आएगा।
तुम्हारे बिन कहां मुझको कभी अब चैन आएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
जो बातें अंदर दबी हुई रह जाती हैं
जो बातें अंदर दबी हुई रह जाती हैं
श्याम सिंह बिष्ट
जय श्री गणेशा
जय श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मत कर ग़ुरूर अपने क़द पर
मत कर ग़ुरूर अपने क़द पर
Trishika S Dhara
दोस्त को रोज रोज
दोस्त को रोज रोज "तुम" कहकर पुकारना
ruby kumari
तुम्हारी याद आती है मुझे दिन रात आती है
तुम्हारी याद आती है मुझे दिन रात आती है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
अपनी कलम से.....!
अपनी कलम से.....!
singh kunwar sarvendra vikram
* हो जाओ तैयार *
* हो जाओ तैयार *
surenderpal vaidya
मां जब मैं तेरे गर्भ में था, तू मुझसे कितनी बातें करती थी...
मां जब मैं तेरे गर्भ में था, तू मुझसे कितनी बातें करती थी...
Anand Kumar
■ पात्र या अपात्र
■ पात्र या अपात्र
*Author प्रणय प्रभात*
तू आ पास पहलू में मेरे।
तू आ पास पहलू में मेरे।
Taj Mohammad
जब सांझ ढले तुम आती हो
जब सांझ ढले तुम आती हो
Dilip Kumar
Loading...