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30 Aug 2017 · 1 min read

वक्त रात पर अड़े

अब काँच पर पत्थर गिरे, फर्क न पड़ता अब जिद को!
अब वक्त रात पर अड़े, इंतजार न होता अब आँखों को!
आख़िर कब तक तक़दीर पर डालकर मै खेल ऐसा खेलूँ!
कि होठों से अफ़साने गिरे, पर आँच न आती कलेजे को!
–सीरवी प्रकाश पंवार

Language: Hindi
Tag: शेर
412 Views
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