*वक्त की नज़ाकत*
वक्त-वक्त का तकाजा है,
पुराना तो कभी ज़ख्म ताजा है,
हैरान है दुनिया वक्त की इस नज़ाकत से,
टी बी, केंसर, हैजा,
अब कोरोना से नवाजा है||
मुरीद फिर भी है ये दुनिया वक्त की,
हो रिश्तेदारी जैसे मानवीय रक्त की,
साथ चलना नहीं छोड़ेगी परमाल मयंक,
आँधी भले ही चलती रहे वक्त बेवक्त की||