लड़े नहीं तो क्या करें ? (हास्य)
लड़े नहीं तो क्या करें?
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हम रखते उनको पास, वो देती घाव पे घाव/
लड़े नहीं तो क्या करें?
हम करते हैं नीत काम , मिलता नहीं आराम/
लड़े नहीं तो क्या करें?
हम प्रीत करें दिन – रात, फिर भी कहे बेकार/
लड़े नहीं तो क्या करें?
आटा दाल का भाव, अब जीना हुआ मुहाल/
लड़े नहीं तो क्या करें?
जीवन के दिन चार , मन पाये कब विश्राम/
लड़े नहीं तो क्या करें?
चैन नहीं है पास , किन्तु शंका उनके साथ/
लड़े नहीं तो क्य करें?
मांग बड़ी सरकार , पर मेरी क्या औकात/
लड़े नहीं तो क्या करें?
मुश्किल में है जान , कौन है खेवनहार/
लड़े नहीं तो क्या करें?
मांगे नीत उपहार , साड़ी पर गहने चार/
लड़े नहीं तो क्या करें?
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? पं.संजीव शुक्ल “सचिन
?? ग्राम + पोस्ट – मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण , बिहार
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