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11 Jan 2018 · 1 min read

लड़के भी घर छोड़ जाते है

जो कभी अंधेरे से लड़ते थे
वह आज उजाले से डरने लगे है।
जो हमेशा अपने बहनों से लड़ते थे
वह आज चुप रहने लगे हैं।
खाने में भाई-बहन से लड़ने वाले
आज कुछ भी खा लेते है।
क्योंकि हम लड़के भी घर छोड़ जाते है।

अपने बिस्तर पर किसी को बैठने नहीं देने वाले
आज सबके साथ सो जाते हैं।
हजारों ख्वाहिशें रखने वाले
अब समझौता कर जाते है।
पैसा कमाने की चाहत में
अपनो से अजनबी हो जाते है।
क्योंकि हम बेटे भी घर छोड़ जाते है।

मम्मी के हाथों से खाने वाले
आज खुद जले पके बना कर खाते है।
माँ बहन के हाथों का खाना
अब वह कहाँ खा पाते है।
हम लड़के भी घर छोड़ जाते है।

गाँव की सड़कें, वह हरे भरे खेत
दोस्त यार, माँ बाप, भाई बहन का प्यार
सब कहीं पीछे छूट जाते है।
क्योंकि हम लड़के भी घर छोड़ जाते है।

अक्सर तन्हाई में सबको कर के याद
वह भी आंसू बहाते है।
जिम्मेदारी की बोझ सबसे जुदा कर जाती है।
मत पूछो इनका दर्द वह कैसे जी पाते है।
क्योंकि लड़के भी घर छोड़ जाते है।

Language: Hindi
24 Likes · 20 Comments · 17259 Views
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