Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2017 · 3 min read

लोग : जो मार दिए गए…

हम सब मर जायेंगे
एक दिन,
केवल कुछ गुलमोहर ही बचेंगे,
न दिखने वाली सुंदरता के लिए।

आप उस रात आराम से नही सो सकते,
जब कोई अधनंगा लड़का
आपके कान में आकर कह दे
कि
उसकी माँ को मार दिया है – एक घातक उपन्यास ने।
आप कैसे करवटें बदल सकते हैं
आप भी रहते है उस शहर में
जिस शहर में
दीवारें आधी रात को और स्याह हो जाती हैं।

कोई भी
तीन शब्दों में उत्तर दे सकता है मेरे सवालों का।
मैं शहर की तमाम दीवारों को खा जाना चाहता हूँ।
नोंच लेना चाहता हूँ वो हर बाल
जो धूप के अलावा और किसी भी तरीके से सफेद हो गया हो,
मैं समेट लेना चाहता हूँ हर गली मोहल्ला
अपनी जुबान से
(उस तरह से नही
जैसे वोट समेटने के लिए तीखी और तेज जुबान चाहिए)

लड़की जैसी शक्ल में एक लड़की
अक्सर आपके सपनो में आती होगी;

उस अधनंगे लड़के की एक बहन भी थी
उसने आपके कान में यह नही बताया होगा।
उसकी बहन भी खा जाना चाहती थी
शहर की तमाम विचारधाराओं को।

मैंने कुछ डरावना खेल
देखा था
सपने में।
मैंने कुछ वक़्त सोचा,
कम्बल ओढ़कर चिल्लाऊँ,
किसी पड़ोसी को आवाज़ दूँ,
या फिर दौड़कर उसे पकड़ लूँ जो लड़की के बाल पकड़कर हंस रहा है।

लेकिन मुझे पता है
मेरी गर्दन में एक आठवीं इन्द्रि भी है
शायद इसीलिए ही
ऐसे मौकों पर मैं अपनी जुबान काटकर
फ्रीज़ में रख देता हूँ।

मैं आपको
खुशनसीब समझता हूँ
कि अब तक किसी ने
शब्दभेदी बाण मारकर मेरी अभिव्यक्ति नहीं जलाई,
मेरी विचारधारा जलाकर कर मुझे अंधा नहीं किया।

हम कैसे जान पाएंगे
कि
विकास की गति जन्म लेने के बाद क्यों शरू होती है?
उम्र के अनुसार ही
शरीर और दिमाग का विकास क्यों होता है।
आप सब के
गांव या शहर में
आपकी गलियो में,
स्थिर मौसम के उजाले में एक बलात्कार टाइप का माहोल बन सकता है।
सड़क के बीचों बीच मरे हुए इंसान के चारो और मरे जानवरों (जिन्दा इंसानो) की भीड़ लगते हुए देख सकते हैं।

बिना टीवी के दिखाई जा सकती है;
एक काली कपड़ों में लिपटी विचारधारा।
बलात्कार के उस वक़्त
मरे हुए दिमाग खोपड़ी में लेकर कुछ लोग
एक लड़की के जेहन में बहुत सारी हवस उतार देते हैं
या
उंड़ेलते हैं।
इंसान के दिमाग में कई खाली गर्त होते हैं
लेकिन
उन लोगों के दिमाग में
“एक काला पदार्थ” भर चुका है
वे गर्त धातु के ढक्कनों से ढके हैं।

क्या आप समझ सकते हैं
कट्टरता का जहर इन गर्तों में सड़ता है
और इससे उत्पन्न होती है “जलन”
“हवस की कैद”

वो अधनंगा लड़का
जवान होकर
बांग्लादेश की एक गली
में नाइ की दूकान पर
सुनता है – तसलीमा नसरीन की आवाज़।

वो
सुबक सुबक पर अपनी मरी हुई माँ
से पूछ सकता है
” माँ! तस्लीमा नसरीन कहाँ गई?”

कुछ लेखक/लोग सोच सकते हैं
की ऊँची आवाज़ में
घातक दनीश्वरो का विरोध किया जाये।
दब जाती है वो
आवाज़
लेकिन मरती नही
जिन्दा; हो जाती है अक्सर;
नई क्रांति के लिए।

यह बात आपको उस वक़्त
समझ में नही आयेगी
जब आपकी चमड़ी में घातक कट्टरता के लक्षण प्रकट होंगे।
ऐसे लक्षण
प्रकट होने पर इन नस्लों (बच्चों) की उत्पादकता शायद पहले जैसी न रह जाए।
बड़े तुज़ुर्बे
मार दिये जाते हैं
या दबा दिए जाते हैं कुछ लोग…
जो सच का कलेजा देख लेते हैं

लिहाजा ऐसे मौकों पर
जैविक विविधता को बचाए
रखना और भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि उसके बिना अगली पीढ़ी मज़े कैसे लेगी ?

कुछ कटे हुए सर ही बता सकते हैं
कि
एक उपन्यास जान कैसे ले सकता है।

– कवि बृजमोहन स्वामी “बैरागी”

( डरते डरते लिखता रहता हूँ कुछ शब्द जो कहने को तो मेरे हैं
लेकिन सबका अधिकार है इन पर)

Language: Hindi
395 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*खुशियों की सौगात*
*खुशियों की सौगात*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
World tobacco prohibition day
World tobacco prohibition day
Tushar Jagawat
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
सनातन सँस्कृति
सनातन सँस्कृति
Bodhisatva kastooriya
वफा माँगी थी
वफा माँगी थी
Swami Ganganiya
आंखे, बाते, जुल्फे, मुस्कुराहटे एक साथ में ही वार कर रही हो।
आंखे, बाते, जुल्फे, मुस्कुराहटे एक साथ में ही वार कर रही हो।
Vishal babu (vishu)
विलीन
विलीन
sushil sarna
न जल लाते हैं ये बादल(मुक्तक)
न जल लाते हैं ये बादल(मुक्तक)
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-246💐
💐प्रेम कौतुक-246💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"पवित्र पौधा"
Dr. Kishan tandon kranti
डरने कि क्या बात
डरने कि क्या बात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
संस्कार संस्कृति सभ्यता
संस्कार संस्कृति सभ्यता
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
एक ही राम
एक ही राम
Satish Srijan
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
कवि दीपक बवेजा
मैंने तो ख़ामोश रहने
मैंने तो ख़ामोश रहने
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
पति पत्नी पर हास्य व्यंग
पति पत्नी पर हास्य व्यंग
Ram Krishan Rastogi
*
*"संकटमोचन"*
Shashi kala vyas
कवि को क्या लेना देना है !
कवि को क्या लेना देना है !
Ramswaroop Dinkar
संघर्ष
संघर्ष
विजय कुमार अग्रवाल
🙅बदली कहावत🙅
🙅बदली कहावत🙅
*Author प्रणय प्रभात*
"हृदय में कुछ ऐसे अप्रकाशित गम भी रखिए वक़्त-बेवक्त जिन्हें आ
दुष्यन्त 'बाबा'
प्रेम की बंसी बजे
प्रेम की बंसी बजे
DrLakshman Jha Parimal
2411.पूर्णिका
2411.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"ज़िंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या खाक़ जीया करते है
Mukul Koushik
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
Shiv kumar Barman
🍁🌹🖤🌹🍁
🍁🌹🖤🌹🍁
शेखर सिंह
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
Rj Anand Prajapati
हमारा भारतीय तिरंगा
हमारा भारतीय तिरंगा
Neeraj Agarwal
कब तक बरसेंगी लाठियां
कब तक बरसेंगी लाठियां
Shekhar Chandra Mitra
Loading...