“”लोकतंत्र का मान रखो रे ———–!!””
गांधी के संदेश यहां पर कौन आज अब पढ़ते हैं।
जिधर देखो उधर ही दिखता, जब तब लड़ते हैं।
भरा स्वार्थ ऐसा कैसा है, निस्वार्थ सेवा कब करते है।
लोकतंत्र का मान रखो रे भाव यही हम भरते हैं।।
अहिंसा के पुजारी गांधी ने आंदोलन तब कितने किए।
सत्य शांति के उपदेश सदा ही, जीवन भर जिनने दिए।
आज कहां कोई किसी के, उपदेश हृदय में भरते है।
भरा स्वार्थ ऐसा कैसा है , निस्वार्थ सेवा कब करते हैं।।
गांधी तुम को याद करें हम, जन्म फिर से ले आ जाओ।
नेता जनता सभी जनों को, सद मार्ग दिखला जाओ।
बचे हैं सच कहने वाले किंचित,वे भी झुटो से डरते है।
लोकतंत्र का मान रखो रे, भाव यही हम भरते है।।
ज्योति जली है राजघांट पे,है राम जहां पर लिखा हुआ।
शपथ सभी ले आज दिवस को,दिखे न कोई बिका हुआ।
चलो सभी मिलकर के हम, अनुनय कर्म सच्चे ही करते है।
लोकतंत्र का मान रखो रे,भाव यही हम भरते है।।
राजेश व्यास अनुनय