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30 May 2020 · 2 min read

–लॉक डाउन – 5

की तरफ लोगों की नजरें इस कदर लगी हुई हैं, जैसे कि कोरोना का अंत हो गया हो..और लोग अपने आपको सुरक्षित महसूस करने लग गए हों। एक अनार और सौ बीमार वाली कहावत सब ने सुनी थी…उस का परिणाम भी खतरनाक होता था और आज इस कोरोना का वैसा ही है हाल की अनगिनत लोग बीमार कर दिए इस कलेश ने , लोग समझने को तैयार ही नहीं हैं, आज आप जहाँ भी देखो, सुबह के ३-४ घंटे बाजार में , सड़क पर बेइन्तेहा भीड़ लगी हुई है, किसी भी तरह के सोशिअल डिस्टेंस का कोई महत्त्व देखने को नहीं मिल रहा, यह अब जरुरी नहीं की शहर के जिलाधिकारी या पुलिस अधिकारी, या कोई भी समाज सेवी आपको समझाता नजर आये , यह सब को अब खुद देखना है.अब ऐसे में कोई एक भी इस बिमारी से ग्रस्त आदमी सामान लेने आ गया, तो हो गया सब का सत्यानाश। अगर किसी को यह बिमारी दिक्कत कर भी रही है, तो इस में घबराना कैसा ?? अंत तो याद रखो मरना तो है ही और मरने से पहले क्यूँ न संघर्ष किया जाए जो कि बहुत ही जरुरी है। अगर उस संघर्ष में आप ठीक होकर वापिस आ गए तो समझ लेना भगवान् का आशीर्वाद आपको मिल गया, नहीं तो राम का नाम सत्य है ही और सदा रहेगा भी। पर जो जरुरी है, उन बातों का पालन एक एक व्यक्ति को करना होगा।।तभी कोरोना की बिमारी से निजात हांसिल हो सकेगी।।हर बात को अच्छे से गांठ बाँध लो, की अगर हम भीड़ नहीं बढ़ाएंगे तो खुद के साथ साथ दूसरे लोगों का भी भला कर देंगे। इस में हम सब इस समाज का हिस्सा है, किसी को किसी के साथ कोई द्वेष भावना को लेकर कोई ऐसा काम नहीं करना है की दूसरे को दुःख पहुँच सके।

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 235 Views
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