Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2021 · 1 min read

लॉकडाउन

2122 + 2122 + 2122
लग गया है यार फिर से अपने टाउन
लॉकडाउन, लॉकडाउन, लॉकडाउन
लग गया है……

मर गए कुछ, मर रहे हैं, लोग आगे
रिश्ते-नाते तोड़कर सब आज भागे
चार सू ये ख़ौफ़ पसरा हाय अब तो
क्या कहे हम साल बीता सोये जागे
वैध हैरां आज उनकी उतरी गाउन
लग गया है……

चीन की ये देन है दुनिया जहां को
छीन लेगा एक मुट्ठी आस्मां को
रोक दो व्यापार इससे आगे करना
तुम रहो तैयार वरना इम्तिहां को
हाय कोरोना किये सेहत को डाउन
लग गया है……

अब नहीं है नौकरी तो क्या हुआ फिर
भागती है छोकरी तो क्या हुआ फिर
सुख महामारी ले के भागी हमारे
सर पे ग़म की टोकरी तो क्या हुआ फिर
मुफ़लिसी में आज उतरा फिर से क्राउन
लग गया है……

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 259 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे
स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे
Ravi Ghayal
क्या देखा
क्या देखा
Ajay Mishra
हाइकु
हाइकु
Prakash Chandra
अन्नदाता किसान
अन्नदाता किसान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
देश भक्ति का ढोंग
देश भक्ति का ढोंग
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
डॉ. नामवर सिंह की दृष्टि में कौन-सी कविताएँ गम्भीर और ओजस हैं??
डॉ. नामवर सिंह की दृष्टि में कौन-सी कविताएँ गम्भीर और ओजस हैं??
कवि रमेशराज
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
ruby kumari
विचार , हिंदी शायरी
विचार , हिंदी शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
गीतिका-
गीतिका-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जब लोग आपसे खफा होने
जब लोग आपसे खफा होने
Ranjeet kumar patre
नारी पुरुष
नारी पुरुष
Neeraj Agarwal
सफलता
सफलता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
मुहब्बत मील का पत्थर नहीं जो छूट जायेगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Don't let people who have given up on your dreams lead you a
Don't let people who have given up on your dreams lead you a
पूर्वार्थ
संसार एक जाल
संसार एक जाल
Mukesh Kumar Sonkar
💐अज्ञात के प्रति-146💐
💐अज्ञात के प्रति-146💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*बरगद (बाल कविता)*
*बरगद (बाल कविता)*
Ravi Prakash
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
Harminder Kaur
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
Sapna Arora
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
Mahendra Narayan
उन यादों को
उन यादों को
Dr fauzia Naseem shad
ये रंगो सा घुल मिल जाना,वो खुशियों भरा इजहार कर जाना ,फिजाओं
ये रंगो सा घुल मिल जाना,वो खुशियों भरा इजहार कर जाना ,फिजाओं
Shashi kala vyas
है कौन वो राजकुमार!
है कौन वो राजकुमार!
Shilpi Singh
2431.पूर्णिका
2431.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आदिशक्ति वन्दन
आदिशक्ति वन्दन
Mohan Pandey
मुझे ना छेड़ अभी गर्दिशे -ज़माने तू
मुझे ना छेड़ अभी गर्दिशे -ज़माने तू
shabina. Naaz
ढलता वक्त
ढलता वक्त
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
#आज_का_दोहा
#आज_का_दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
गर्मी
गर्मी
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
Loading...