Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2020 · 2 min read

लेख

मित्रों, पति पत्नी का संबंध वैसे ही होता है जैसे दूध और पानी का संबंध होता है। गृहस्थ आश्रम को सभी आश्रमों में श्रेष्ठ आश्रम माना गया है ।क्योंकि इस आश्रम के माध्यम से ज्ञान योग ,भक्ति योग, और कर्म योग की उपासना आसानी से की जा सकती है। एवं शुद्ध एवं निश्चल भावों के द्वारा पति पत्नी के सहयोग से ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है ,फल प्राप्त किए जा सकते हैं। श्री रामचरितमानस में सती शिव विवाह के प्रसंग में वर्णन है जब माता सती को संदेह हुआ कि राम वास्तव में भगवान स्वरूप है या नहीं ,तब उन्होंने माता सीता का रूप धारण कर भगवान राम की परीक्षा ली ।तब गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं

“जलपय सरिस बिकाई, यही प्रीति कि रीत भली।
विलग होत रस जाई, कपट खटाई परत पुनी।”

मित्रों दांपत्य जीवन एक दूसरे के विश्वास पर टिका होता है जैसे दूध के साथ पानी , दूध के मोल बिक जाता है ,और कपट पड़ते ही अर्थात उस में खटाई पढ़ते ही दूध फट जाता है ।स्वाद रह जाता है ,पानी अलग हो जाता है ।यही पति-पत्नी का विवेक है। पति पत्नी मित्र धर्म का निर्वाह करते हुए दूध और पानी के समान एक होते हैं। यही नीर क्षीर विवेक है जो विश्वास पर आधारित है कि आपको निर्धारित करना है कि आपको क्या ग्रहण करना है ।बुजुर्गों द्वारा कहा गया है कि पति पत्नी बैलगाड़ी के दो पहिए हैं जो जब साथ साथ चलते हैं तब गृहस्थी सफलतापूर्वक चलती है जब एक पहिया अड़ जाता है या विपरीत दिशा में गति करता है तब गति रुक जाती है। कारण विश्वास है ।ये रिश्ताएक दूसरे के विश्वास पर आधारित है।और यही सहनशीलता स्नेह और समर्पण का मूल मंत्र है।

सादर
डॉ प्रवीण कुमार कुमार श्रीवास्तव”प्रेम”

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 203 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
कर दिया समर्पण सब कुछ तुम्हे प्रिय
कर दिया समर्पण सब कुछ तुम्हे प्रिय
Ram Krishan Rastogi
कुंडलिया - होली
कुंडलिया - होली
sushil sarna
सवर्ण पितृसत्ता, सवर्ण सत्ता और धर्मसत्ता के विरोध के बिना क
सवर्ण पितृसत्ता, सवर्ण सत्ता और धर्मसत्ता के विरोध के बिना क
Dr MusafiR BaithA
धन्यवाद कोरोना
धन्यवाद कोरोना
Arti Bhadauria
तब गाँव हमे अपनाता है
तब गाँव हमे अपनाता है
संजय कुमार संजू
जिसे मैं ने चाहा हद से ज्यादा,
जिसे मैं ने चाहा हद से ज्यादा,
Sandeep Mishra
समीक्ष्य कृति: बोल जमूरे! बोल
समीक्ष्य कृति: बोल जमूरे! बोल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
■ शुभ महानवमी।।
■ शुभ महानवमी।।
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य से विलग न ईश्वर है
सत्य से विलग न ईश्वर है
Udaya Narayan Singh
मन के भाव
मन के भाव
Surya Barman
एकाकी (कुंडलिया)
एकाकी (कुंडलिया)
Ravi Prakash
क्यूँ ना करूँ शुक्र खुदा का
क्यूँ ना करूँ शुक्र खुदा का
shabina. Naaz
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जाने बचपन
जाने बचपन
Punam Pande
हाँ, नहीं आऊंगा अब कभी
हाँ, नहीं आऊंगा अब कभी
gurudeenverma198
******शिव******
******शिव******
Kavita Chouhan
अभिव्यक्ति के माध्यम - भाग 02 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति के माध्यम - भाग 02 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
Phool gufran
बहते रस्ते पे कोई बात तो करे,
बहते रस्ते पे कोई बात तो करे,
पूर्वार्थ
जनैत छी हमर लिखबा सँ
जनैत छी हमर लिखबा सँ
DrLakshman Jha Parimal
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Praveen Sain
रेतीले तपते गर्म रास्ते
रेतीले तपते गर्म रास्ते
Atul "Krishn"
अहा! लखनऊ के क्या कहने!
अहा! लखनऊ के क्या कहने!
Rashmi Sanjay
" मन मेरा डोले कभी-कभी "
Chunnu Lal Gupta
1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ
1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ
Ajay Kumar Vimal
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
Jeevan ka saar
Jeevan ka saar
Tushar Jagawat
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Sanjay ' शून्य'
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
Anand Kumar
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...