*लेखन* – एक कला है!!!
**लेखन एक कला है **
चलता जब सिलसिला है ।
मन की तरंगे जागती।
विचारों के पीछे भागती।
जब-जब पड़ता जगत इनको ।
करती सबका भला है।
** लेखन एक कला है ** !!!
लिखने वाला जब विषय पर जाता है।
चित्र उसका मस्तिष्क पटल पर आता है।
दौड़ पड़ती लेखनी फिर तो,
जैसे नदियों का जल बह चला है।
**लेखन एक कला है**!!!
निर्विवाद है वह किसी से विवाद नहीं।
जो देखा परखा लिख दिया सही सही।
“अनुनय”लेखन की गोद में,
यथार्थ ही पला है।
**लेखन एक कला है**!!!
— राजेश व्यास अनुनय ११/०९/२०२०