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6 Jan 2018 · 1 min read

लेकर ख्वाब आया कौन था वो अजनबी

ना मिलकर भी मिल गया कैसी पहेली
लेकर ख्वाब आया कौन था वो अजनबी ..

सर्द ठुठरन भी क्यों कर लग रही भली
भीड़ के कौलाहल में भी किसकी है कमी
लेकर ख्वाब आया कौन था वो अजनबी ..

होते हुए भी अदृश्य सा असर हुआ अभी
स्पर्श सी लिए हवाऐं क्यों लग रही भली
लेकर ख्वाब आया कौन था वो अजनबी ..

द्वार पर क्यों सुनाई दे रही दस्तक सी
रात झरोखों से आ रही ही कैसी ये रोशनी
लेकर ख्वाब आया कौन था वो अजनबी ..

बैचेनी में भी आनन्द की खिल रही कली
बंजर पड़ी जिन्दगी में बगीया सी महकी
लेकर ख्वाब आया कौन था वो अजनबी ..

थमी दिल की धड़कन फिर भड़क गयी
आंखें झर कर फिर सपनों में भर गयी
लेकर ख्वाब आया कौन था वो अजनबी ..

ना मिलकर भी मिल गया कैसी पहेली
लेकर ख्वाब आया कौन था वो अजनबी…..

लक्ष्‍मण सिंह
जयपुर
9799497187

502 Views
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