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27 May 2018 · 1 min read

लिखा है

आज फिर एक नया फ़साना लिखा है,
मुद्दतोंं के बाद वो ही किस्सा पुराना लिखा है।तेरे मेरे बीच घटी अनजानी गुस्ताखियोंं का,
वो ही अफ़साना सुहाना लिखा है।
मिलकर जो हमने साथ था गुनगुनाया ,
वो ही तेरा मेरा तराना लिखा है।
वो बागोंं मेंं चहकना और बहकना,
मगर इक आहट पर हो जाना अनजाना लिखा है।
हुस्न पर मेरे हुए थे लाखोंं मेहरबांं,
मगर तेरा हो जाना वो गज़ब मस्ताना लिखा है।
हूए होगेंं आशिक़ कई और होगेंं आगेभी,
मगर तेरा वो ही अलग अंंदाज आशिक़ाना लिखा है।
कभी ना होगेंं वफा से बेवफा,सोचा था ,
मगर किस्मत का वो हम दोनोंं को भटकाना लिखा है।
जब तक ना देखती थी नजरेंं दिल रहता था बेताब ,
मगर सामने आजा ने पर,
वो तेरा शरमा जाना लिखा है।
दामन था मेरा हकदार जिन फूलोंं का,
उनको बदले मेंं काटोंं से वो तेरा भर जाना लिखा है।
हँँसी सपनोंं की जगह अब आँँसुओंं ने ले ली है,
आँँखोंं को हरपल वो तेरा रुला जाना लिखा है।
लिखूँँगी तुझपर कई बार ये सोचा था,
आज दिल ने नज़र किया तुझको,
वो ही मेरा अंंदाज शायराना लिखा है।

#सरितासृृजना

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