लिखना चाहती हूँ
लिखना चाहती हूँ
बचपन के दिनों को
जो हर पल बीतता था
दोस्तो के संग संग
मस्ती और खेल खेल में
लिखना चाहती हूँ
माँ पापा के प्यार को
उस हर सुखद पल को
मधुर पलो के अहसास को
जो बीता उस दोनो के साथ
लिखना चाहती हूँ
तेरे किये हर वादे को
तेरे वादों पर खुद को
खरा उतरते हुए
देखना हैं कसौटी पर
लिखना चाहती हूँ,
तेरे पल पल प्यार को
तेरे सारे इजहार को
तेरे सारे मिलन को
पूर्ण करते हुए देखना
लिखना चाहती हूँ
अपने पैरों की आहट को
अपनी पायल की झंकार को
अपनी चूड़ियों की खनक को
अपने आप सुनना चाहती हूँ
लिखना चाहती हूँ
तेरी आंखो में खुद के
अक्ष को निहारना
प्यार को पल पल जीना
जीना चाहती सी तुझ संग