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19 Feb 2020 · 1 min read

लावणी छंद

यह कैसी वासना दृगों में, लखन देखकर घबराये।
बेचारी उर्मिला भवन में, कैसी होगी कुम्हलाये।
शूर्पणखा सुंदरी अनूठी, छल से माया रच लायी।
पर्णकुटी में राम दिखे थे, सहज लालसा छलकायी।

पूज्य पिता की आज्ञा पाकर, धर्म ध्वजा फहराया है।
सीता जी ने उनके के हित में, पत्नी धर्म निभाया है।
पीछे-पीछे चले लक्ष्मण, पाकर प्रभु से अनुशासन।
भ्रात धर्म को चले निभाने, धर्म ध्वजा लेकर वन वन।

Language: Hindi
Tag: गीत
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