Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2021 · 1 min read

लम्बी लम्बी श्वासें

लम्बी लम्बी श्वासें
भरनी पड़ती हैं
खुद को जिंदा रखने के
लिए
नहीं पता था कि
कभी खुद का नहीं
दूसरे का धड़कता दिल
चाहिए होता है
खुद को जिंदा
रखने के लिए।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
195 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
दोस्तों की कमी
दोस्तों की कमी
Dr fauzia Naseem shad
मेरे मुक्तक
मेरे मुक्तक
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल
जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जरा विचार कीजिए
जरा विचार कीजिए
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
दुमका संस्मरण 2 ( सिनेमा हॉल )
दुमका संस्मरण 2 ( सिनेमा हॉल )
DrLakshman Jha Parimal
बेटी
बेटी
Akash Yadav
"चंचल काव्या"
Dr Meenu Poonia
Apne yeh toh suna hi hoga ki hame bado ki respect karni chah
Apne yeh toh suna hi hoga ki hame bado ki respect karni chah
Divija Hitkari
You know ,
You know ,
Sakshi Tripathi
!! कुछ दिन और !!
!! कुछ दिन और !!
Chunnu Lal Gupta
सुन्दर सलोनी
सुन्दर सलोनी
जय लगन कुमार हैप्पी
🌷 *परम आदरणीय शलपनाथ यादव
🌷 *परम आदरणीय शलपनाथ यादव "प्रेम " जी के अवतरण दिवस पर विशेष
Dr.Khedu Bharti
कविता - 'टमाटर की गाथा
कविता - 'टमाटर की गाथा"
Anand Sharma
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
Shweta Soni
यारा  तुम  बिन गुजारा नही
यारा तुम बिन गुजारा नही
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खामोश आवाज़
खामोश आवाज़
Dr. Seema Varma
मुझे भी जीने दो (भ्रूण हत्या की कविता)
मुझे भी जीने दो (भ्रूण हत्या की कविता)
Dr. Kishan Karigar
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
Ranjeet kumar patre
अगर लोग आपको rude समझते हैं तो समझने दें
अगर लोग आपको rude समझते हैं तो समझने दें
ruby kumari
बहारों कि बरखा
बहारों कि बरखा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"श्रमिकों को निज दिवस पर, ख़ूब मिला उपहार।
*Author प्रणय प्रभात*
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
Keshav kishor Kumar
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
राम - दीपक नीलपदम्
राम - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
।।सावन म वैशाख नजर आवत हे।।
।।सावन म वैशाख नजर आवत हे।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*प्रिया किस तर्क से*
*प्रिया किस तर्क से*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अनुभूति
अनुभूति
Pratibha Pandey
इस घर से .....
इस घर से .....
sushil sarna
बारिश में नहा कर
बारिश में नहा कर
A🇨🇭maanush
वासना और करुणा
वासना और करुणा
मनोज कर्ण
Loading...