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3 Mar 2017 · 1 min read

??लचकी डाली??

झर गया फूल,जो लचकी डाली।
कोई नहीं है यहाँ,ग़म से खाली।।

तू कहे मेरा कसूर,मैं कहूँ तेरा।
एक हाथ से पर,बजे न ताली।।

सारा जग अपने दुख में है रोए।
हँसती है रात पर,सदा तारोंवाली।।

मन में राज दबे ,यहाँ सभी के।
कोई कह दे,कोई करे रखवाली।।

अपना माल सभी को प्यारा लगे।
दूसरे को हँसकर,दे देता है गाली।।

अपनी भूल दबाना चाहें हैं सभी।
दूसरे के लिए बने फिरेंं सवाली।।

एकपल की खुशी दोपल का गम।
न तुम न हम हैं ग़म से खाली।।

लाख संभाला पर बिखर ही गयी।
टूटकर हसरते-माला ख़्याल वाली।।

अपनी कमियाँ न बता किसी को।
सुनकर हँसेगी दुनिया है धोखेवाली।।

प्रीतम आओ गले लगा लो हँसकर।
महक उठेगी दिले-बगिया फूलोंवाली।।

***********
***********
राधेयश्याम बंगालिया प्रीतम कृत
सर्वाधिकार सुरक्षित

Language: Hindi
485 Views
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