Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2021 · 2 min read

लेख

नदी की आत्मकथा

मैं नदी हूँ

मैं नदी हूँ! अनेको मेरे रूप और नाम हैं । नदी प्रकृति के जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है, इसकी गति पर इसके नाम हैं । नहर,सरिता,तटिनी,प्रवाहिनी आदि अनेकों नाम से मुझे पुकारा जाता है । जैसे-जैसे आगे सरकती हूँ वैसे ही मेरे नाम भी बदल जाते हैं । कभी छोटी नदी यानि रजवाईया बन जाती हूँ तो कभी मैं छोटी जोहड़ी का रूप धारण कर लेती हूँ ।

मैं एक नदी हूँ और जन्म पर्वतमालाओं की गोदी से हुआ है। मैं बचपन से ही बहुत चंचल थी। बस मुझे आगे बढ़ना ही सीखा है। रूकना मुझे पंसद नहीं । बस आगे बढ़ते जाना है । बस चलना है मैं निरंतर चलती ही रहती हूँ । मैं कर्म में विश्वास रखती हूँ। फल की इच्छा नहीं करती । मैं अपने आप में खुश रहती हूँ । मैं हर जीव के काम आती हूँ । लोग मेरी पूजा करते हैं । सम्मान से मुझे पुकारते हैं, अनेकों मेरे नाम है। जैसे-गंगा,जमुना,सरस्वती, यमुना, बह्मपुत्र, त्रिवेणी ये सब मेरे नाम हिन्दू धर्म में पूजी जाती हूँ । पर्वतमालाएं ही मेरा घर था लेकिन मैं सदा वहाँ रह नहीं सकती थी। जिस तरह लड़की अपने मायके यानि अपने माँ-बाप के घर! उसी तरह मुझे भी माँ-बाप का घर छोड़ना पड़ा । छोड़ने के बाद मैं आगे बढ़ती गई । मैं पत्थरों को तोड़ती धकेलती हुई आगे बढ़ती चली गई । मुझसे आर्किषत होकर पेड़ पौधों पत्ते भी मेरे सौंदर्य का बखान करते रहते थे । जहाँ-जहाँ से होकर गुजरती गई वहाँ पर तट बना दिये गये। तटों के आस-पास जो मैदानी इलाके थे वहाँ पर छोटी-छोटी बस्तियां स्थापित होती चली गई । इसी तरह मैं भी आगे बढ़ती रही ।
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 263 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"रातरानी"
Ekta chitrangini
प्रेम.....
प्रेम.....
हिमांशु Kulshrestha
"रफ-कॉपी"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन में जब संस्कारों का हो जाता है अंत
जीवन में जब संस्कारों का हो जाता है अंत
प्रेमदास वसु सुरेखा
यह जिंदगी का सवाल है
यह जिंदगी का सवाल है
gurudeenverma198
2635.पूर्णिका
2635.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
पूर्वार्थ
मेरे पास, तेरे हर सवाल का जवाब है
मेरे पास, तेरे हर सवाल का जवाब है
Bhupendra Rawat
इशारा दोस्ती का
इशारा दोस्ती का
Sandeep Pande
उसका-मेरा साथ सुहाना....
उसका-मेरा साथ सुहाना....
डॉ.सीमा अग्रवाल
इंसानियत की
इंसानियत की
Dr fauzia Naseem shad
जो गर्मी शीत वर्षा में भी सातों दिन कमाता था।
जो गर्मी शीत वर्षा में भी सातों दिन कमाता था।
सत्य कुमार प्रेमी
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
Ranjeet kumar patre
Meditation
Meditation
Ravikesh Jha
गुज़िश्ता साल -नज़्म
गुज़िश्ता साल -नज़्म
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
संघर्ष
संघर्ष
Sushil chauhan
*नशा करोगे राम-नाम का, भवसागर तर जाओगे (हिंदी गजल)*
*नशा करोगे राम-नाम का, भवसागर तर जाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
भक्त गोरा कुम्हार
भक्त गोरा कुम्हार
Pravesh Shinde
फूल खिले हैं डाली-डाली,
फूल खिले हैं डाली-डाली,
Vedha Singh
■ मुक्तक...
■ मुक्तक...
*Author प्रणय प्रभात*
कविका मान
कविका मान
Dr. Sunita Singh
सितारों की तरह चमकना है, तो सितारों की तरह जलना होगा।
सितारों की तरह चमकना है, तो सितारों की तरह जलना होगा।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
प्रतिबद्ध मन
प्रतिबद्ध मन
लक्ष्मी सिंह
बाजार  में हिला नहीं
बाजार में हिला नहीं
AJAY AMITABH SUMAN
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
" मैं तन्हा हूँ "
Aarti sirsat
वक्त
वक्त
Shyam Sundar Subramanian
गुरु सर्व ज्ञानो का खजाना
गुरु सर्व ज्ञानो का खजाना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
छत्तीसगढ़िया संस्कृति के चिन्हारी- हरेली तिहार
छत्तीसगढ़िया संस्कृति के चिन्हारी- हरेली तिहार
Mukesh Kumar Sonkar
जीवन एक मकान किराए को,
जीवन एक मकान किराए को,
Bodhisatva kastooriya
Loading...