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31 Mar 2021 · 1 min read

“लक्ष्य से भटके अग़र, शरण कौन देगा मनुज”

से,
एक,
महज़,
द्वेष कब,
प्रकट होता,
कामना प्रखर,
टिकी रही अधिक,
तो निश्चित प्रयास में,
लक्ष्य से भटके अग़र,
शरण कौन देगा मनुज,
तुझे,यह समझकर देख।।1।।

से,
द्वन्द,
अथक,
परिश्रम,
उद्देश्यपूर्ण,
अकेले कृत्य को,
साहस का संचार,
नई उपाधि सदैव,
को ध्यान में रखकर यों,
मरण भी निकट नहीं है,
तुझे,यह समझकर देख।।2।।

से,
काव्य,
कविता,
अलंकार,
प्रधानता में,
स्वरूप त्याग दो,
फिर शेष नहीं है,
कुछ भी अपनी दृष्टि,
से देखकर सराहना,
समझकर रहना यह,
तुझे,यह समझकर देख।।3।।

©अभिषेक पाराशर???

Language: Hindi
1 Comment · 467 Views
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