Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2021 · 1 min read

रोशन किया जिन्होंने आदर्शों का मेला

रोशन किया जिन्होंने आदर्शों का मेला

रोशन किया जिन्होंने आदर्शों का मेला
वो गीत बनके दिल में समाते चले गए

जो मर मिटे मादरे वतन की खातिर
वो राग जिन्दगी का सुनाते चले गए

सिखा गए जो जिन्दगी जीने का सलीका
वो राग जिन्दगी का सुनाकर चले गए

बदल गयी जिन्दगी जिनके विचारों की पूँजी से
वो शख्स जिन्दगी की अमानत हो गए

जिनके चरणों की धूलि ने किये रोशन किस्मत के सितारे
वो दीप रौशनी के जला के चले गए

करीब जो लाये हमें खुदा के दर के
वो जोत इबादत की जला के चले गए

जिए जो ताउम्र इंसानियत की राह पर
वो ज़ज्बा इंसानियत का जगा के चले गए

मानवता को किया जिन्होंने अपने कर्म का गहना
वो राह मानवता की दिखा के चले गए

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 171 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
आलाप
आलाप
Punam Pande
खेत का सांड
खेत का सांड
आनन्द मिश्र
मिलना अगर प्रेम की शुरुवात है तो बिछड़ना प्रेम की पराकाष्ठा
मिलना अगर प्रेम की शुरुवात है तो बिछड़ना प्रेम की पराकाष्ठा
Sanjay ' शून्य'
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
Ravi Prakash
सुबह की नमस्ते
सुबह की नमस्ते
Neeraj Agarwal
उम्मीद
उम्मीद
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
"सोचता हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
ख़ियाबां मेरा सारा तुमने
ख़ियाबां मेरा सारा तुमने
Atul "Krishn"
कितनी ही गहरी वेदना क्यूं न हो
कितनी ही गहरी वेदना क्यूं न हो
Pramila sultan
माफी
माफी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अलिकुल की गुंजार से,
अलिकुल की गुंजार से,
sushil sarna
रिश्तों के
रिश्तों के
Dr fauzia Naseem shad
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बोलते हैं जैसे सारी सृष्टि भगवान चलाते हैं ना वैसे एक पूरा प
बोलते हैं जैसे सारी सृष्टि भगवान चलाते हैं ना वैसे एक पूरा प
Vandna thakur
💐अज्ञात के प्रति-122💐
💐अज्ञात के प्रति-122💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है।
कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
पुलवामा हमले पर शहीदों को नमन चार पंक्तियां
पुलवामा हमले पर शहीदों को नमन चार पंक्तियां
कवि दीपक बवेजा
दर्दे दिल की दुआ , दवा , किस से मांगू
दर्दे दिल की दुआ , दवा , किस से मांगू
श्याम सिंह बिष्ट
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
With Grit in your mind
With Grit in your mind
Dhriti Mishra
अपना यह गणतन्त्र दिवस, ऐसे हम मनायें
अपना यह गणतन्त्र दिवस, ऐसे हम मनायें
gurudeenverma198
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
याद कितनी खूबसूरत होती हैं ना,ना लड़ती हैं ना झगड़ती हैं,
याद कितनी खूबसूरत होती हैं ना,ना लड़ती हैं ना झगड़ती हैं,
शेखर सिंह
"किसी की याद मे आँखे नम होना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अज्ञानता निर्धनता का मूल
अज्ञानता निर्धनता का मूल
लक्ष्मी सिंह
लोकतंत्र
लोकतंत्र
Sandeep Pande
23/58.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/58.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...