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17 Feb 2020 · 2 min read

रोला छन्द आधारित गीत

रोला छंद सममात्रिक छंद है। रोला छंद के चार पद (पंक्तियाँ) और आठ चरण होते हैं) इसका मात्रिक विधान लगभग दोहे के विधान के विपरीत होता है। अर्थात मात्राओं के अनुसार चरणों की कुल मात्रा 11-13 रहती है।

दोहा का सम चरण रोला के विषम चरण की तरह लिखा जाता है। इसके कलन विन्यास और अन्य नियम तदनुरूप ही रहते हैं।परन्तु रोला का सम चरण दोहा के विषम चरण की तरह नहीं लिखा जाता है।

प्राचीन छंद-विद्वानों के अनुसार रोले के भी अनेक प्रारूप दर्शाए गए हैं। जिसमें उनके चरणों की मात्रिकता भिन्न-भिन्न है।

विन्यास के मूलभूत नियम –

1 रोला के विषम चरण में कलन 4, 4, 3 या 3, 3, 2, 3 गाल तथा चरणांत गुरु लघु या ऽ। या 21 अनिवार्य रूप से रखने से लय उत्तम बनती है।

2. रोला के सम चरण में कलन संयोजन 3, 2, 4, 4 या 3, 2, 3, 3, 2 होता है. रोला के सम चरण का अंत दो गुरुओं (ऽऽ या 22) से या दो लघुओं और एक गुरु (।।ऽ या 112) से या एक गुरु और दो लघुओं (ऽ।। या 211) से होता है। एक बात का विशेष ध्यान रखना है कि रोला का सम चरण ऐसे शब्द या शब्द-समूह से प्रारम्भ करना है जो त्रिकल 12 या 21 हो।

ध्यान रहे यह मापनी आधारित छंद नहीं है परंतु उत्तम लय लेने के उद्देश्य से इसको मापनी के माध्यम से भी समझा जा सकता है।
(22 22 21, 12 2 22 22 × 4 )
मापनी में किसी भी 22 को 121 ,या 211 ,112 लिख सकते है। बस अंत मे गुरु लघु को छोड़कर।

*******************************

प्रातः भ्रमण कर लीजै
——————————————
परम वचन तू मान, प्रातः भ्रमण कर लीजै।
बोले वचन सुजान , ध्यान भी तू धर लीजै।
मिटे देह के रोग , पल रहे जो भी तन में।
काया बने निरोग, सन्देह रहे न मन में।
*******************************
बिस्तर जल्दी छोड़, आलस त्याग तू सारे।
दे जीवन को मोड़,सुखद कर अनुभव प्यारे।
मंत्र यही है मूल, जीवन जीने की कला।
मत कर कोई भूल,सुख का क्यों घोटे गला।
********************************
बात मनन कर लीजै ।
प्रातः भ्रमण कर लीजै।

******************************

***कलम घिसाई***

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1594 Views
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