रोला छंद…..
रोला छंद
ग़लती से मत तोड़़,किसी का भी दिल प्यारे।
सबसे हँसके बोल,खोल तू प्रेम पिटारे।
स्वर्ग यहीं पर देख,अनूठे देख नज़ारे।
मोहब्बत से पाक,नहीं कुछ पास हमारे।
ख़ूब मिलें उपदेश,मिले इतना साथ नहीं।
ख़ुद की हिम्मत जीत,ग़ैर सच ज़ज्बात नहीं।
देकर पाना सीख,शान है इसमें सच्ची।
कर फैलाना भीख,आन हो इससे कच्ची।
निडर सजग हो नेक,तुझे चाहेंगे सारे।
चाह दया की छोड़,बनो आशा तुम प्यारे।
मीठा जल जिस कूप,स्वयं प्यासा आ जाए।
तरु रखता जो छाँव,पथिक की हार भगाए।
#आर.एस.”प्रीतम”